Blogs | अमितेश कुमार |शुक्रवार सितम्बर 22, 2017 12:56 PM IST क्या दिल्ली के रंगकर्मी दिल्ली सरकार द्वारा तय किए विषयों पर नाटक करने के लिए तैयार हैं? क्या उन्हें नहीं लगता कि एक कलाकार होने के नाते अपने समय और समाज से कैसे जुड़ना चाहते हैं और किन विषयों के जरिए अभिव्यक्ति करना चाहते हैं यह तय करने का हक उनका है? और यह तय करने में वह सरकारी बाबूओं और मंत्रियों से अधिक सक्षम हैं? या दिल्ली के रंगकर्मी सरकार के हाथ की कठपुतली बनने के लिए तैयार हैं?