Blogs | रवीश कुमार |बुधवार जून 27, 2018 11:33 PM IST कई बार हमें लगता है कि किसी विश्वविद्यालय की समस्या इसलिए है क्योंकि वहां स्वायत्तता नहीं है इसलिए उसे स्वायत्तता दे दी जाए. जब भी उच्च शिक्षा की समस्याओं पर बात होती है, ऑटोनमी यानी स्वायत्तता को एंटी बायेटिक टैबलेट के रूप में पेश किया जाता है. लेकिन आप किसी भी विश्वविद्यालय को देखिए, चाहे वो प्राइवेट हो या पब्लिक यानी सरकारी क्या वहां सरकार या राजनीतिक प्रभाव से स्वायत्त होने की स्वतंत्रता है. सरकार ही क्यों हस्तक्षेप करती है, वो हस्तक्षेप करना बंद कर दे. कभी आपने सुना है कि वाइस चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया बेहतर की जाएगी, उनका चयन राजनीतिक तौर पर नहीं होगा.