'Unemploymentseries'

- 36 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार मार्च 20, 2019 11:13 PM IST
    2019 के चुनाव में बेरोज़गारी की बात बहुत हो रही है, मगर इस पर न तो सरकार की तरफ से कुछ ठोस आ रहा है और न ही विपक्ष की तरफ से. पक्ष और विपक्ष की उदासीनता के बीच बेरोज़गारों को भी समझ नहीं आ रहा है कि वे अपने मुद्दों का क्या करें. 20 मार्च के इंडियन एक्सप्रेस में जे मजूमदार की खबर छपी है. इस खबर के अनुसार वर्क फोर्स यानी काम करने वालों की तादाद में तेज़ी से गिरावट आई है. पांच साल पहले की तुलना में इस वक्त कम लोग काम पर लगे हुए हैं. 1993-94 के बाद पहली बार आई कार्य बल में गिरावट आई है.
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार दिसम्बर 20, 2018 11:14 PM IST
    मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान के बहाने आपने देखा कि भारत के कई राज्यों में उद्योगों में 70 से 90 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की नीति है. मगर हमारे पास यह देखने का आंकड़ा नहीं है कि इस नीति से स्थानीय लोगों को कितना रोजगार मिला और वह रोज़गार उस राज़्य के कुल बेरोज़गारों का कितना प्रतिशत था.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार दिसम्बर 4, 2018 12:35 AM IST
    प्राइम टाइम में नौकरी सीरीज़ में हमने आपको कई राज्यों से दिखाया था कि हर राज्य में सरकारी चयन आयोग किस तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं. परीक्षा का विज्ञापन निकलता है, मोटी फीस ली जाती है लेकिन परीक्षा कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है. पहुंच भी जाती है तो तीन-तीन चार-चार महीने नौजवान नियुक्ति पत्र के इंतज़ार में गुज़ार देता है.
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार नवम्बर 22, 2018 10:25 PM IST
    नौकरी की समस्या गंभीर होती जा रही है. भले ही बेरोज़गारी के बाद भी किसी के चुनाव जीतने या हारने पर असर न पड़े. मैं आपको अपना अनुभव बताता हूं. हर दिन नौजवान नौकरी को लेकर मैसेज करते हैं. उनके लिए कोई दूसरी प्राथमिकता नहीं है.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार सितम्बर 21, 2018 03:16 PM IST
    EPFO ने फिर से नौकरियों को लेकर डेटा जारी किया है. सितंबर 2017 से जुलाई 2018 के बीच नौकरियों के डेटा को EPFO ने कई बार समीक्षा की है. इस बार इनका कहना है कि 11 महीने में 62 लाख लोग पे-रोल से जुड़े हैं. इनमें से 15 लाख वो हैं जिन्होंने EPFO को छोड़ा और फिर कुछ समय के बाद अपना खाता खुलवा लिया. यह दो स्थिति में होता है. या तो आप कोई नई संस्था से जुड़ते हैं या बिजनेस करने लगते हैं जिसे छोड़ कर वापस फिर से नौकरी में आ जाते हैं.
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार सितम्बर 20, 2018 11:52 PM IST
    मुझे पता है कि आज भी नेताओं ने बड़े-बड़े बयान दिए हैं. बहस के गरमा गरम मुद्दे दिए हैं. लेकिन मैं आज आपको सुमित के बारे में बताना चाहता हूं. इसलिए बता रहा हूं ताकि आप यह समझ सकें कि इस मुद्दे को क्यों देश की प्राथमिकता सूची में पहले नंबर पर लाना ज़रूरी है. सुमित उस भारत के नौजवानों का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी संख्या करोड़ों में है. जिन्हें सियासत और सिस्टम सिर्फ उल्लू बनाती है. जिनके लिए पॉलिटिक्स में आए दिन भावुक मुद्दों को गढ़ा जाता है, ताकि ऐसे नौजवानों को बहकाया जा सके. क्योंकि सबको पता है कि जिस दिन सुमित जैसे नौजवानों को इन भावुक मुद्दों का खेल समझ आ गया उस दिन सियासी नेताओं का खेल खत्म हो जाएगा. मगर चिंता मत कीजिए. इस लड़ाई में हमेशा सियासी नेता ही जीतेंगे. उन्हें आप बदल सकते हैं, हरा नहीं सकते हैं. इसलिए सुमित जैसे नौजवानों को हार जाना पड़ता है.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार अगस्त 28, 2018 12:27 AM IST
    हर दिन सोचता हूं कि अब नौकरी सीरीज़ बंद कर दें. क्योंकि देश भर में चयन आयोग किसी गिरोह की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने नौजवानों को इस कदर लूटा है कि आफ चाह कर भी सबकी कहानी नहीं दिखा सकते हैं. नौजवानों से फॉर्म भरने कई करोड़ लिए जाते हैं, मगर परीक्षा का पता ही नहीं चलता है. देश में कोई भी खबर होती है, ये नौजवान दिन रात अपनी नौकरी को लेकर ही मैसेज करते रहते हैं. मेरी नौकरी, मेरी परीक्षा का कब दिखाएंगे. परीक्षा देकर नौजवान एक साल से लेकर तीन साल तक इंतज़ार कर रहे हैं तो कई बार फॉर्म भरने के बाद चार तक परीक्षा का पता ही नहीं चलता है. यह सीरीज़ इसलिए बंद करना ज़रूरी है क्योंकि समस्या विकराल हो चुकी है. जब भी बंद करने की सोचता हूं किसी नौजवान की कहानी सुनकर कांप जाता हूं. तब लगता है कि आज एक और बार के लिए दिखा देते हैं और फिर सीरीज़ बंद नहीं कर पाता. 
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार जुलाई 6, 2018 10:36 PM IST
    लाखों अर्धसैनिक बल सेना की तरह समान पेंशन और वेतन की मांग को लेकर सड़क पर हैं, यूपी के 8000 बीटीसी शिक्षक नियुक्ति पत्र मिलने के इंतज़ार में धरने पर बैठे हैं, इन्हीं के साथ 4000 उर्दू शिक्षक नियुक्ति पत्र के इंतज़ार में सड़क पर हैं, पौने दो लाख शिक्षा मित्र समय से वेतन मिलने और 10,000 से 40,000 होने की मांग को लेकर दर दर भटक रहे हैं.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार जून 29, 2018 10:49 PM IST
    देहरादून का एक वीडियो वायरल हो रहा है. 28 जून के इस वीडियो में दिख रहा है उसमें देखने के लिए कई बातें हैं. एक अध्यापिका हैं जो सिस्टम से झुंझलाई हुई हैं, उनकी कोई नहीं सुन रहा है, सामने एक मुख्यमंत्री हैं जो बैठे तो हैं सुनने के लिए मगर सुनते ही झुंझला जा रहे हैं, एक मीडिया है जो कभी आम लोगों की समस्या से वास्ता नहीं रखता मगर एक मुख्यमंत्री ने बेअदबी की है तो उसमें चटखारे ले रहा है.
  • Blogs | रवीश कुमार |बुधवार जून 27, 2018 11:33 PM IST
    कई बार हमें लगता है कि किसी विश्वविद्यालय की समस्या इसलिए है क्योंकि वहां स्वायत्तता नहीं है इसलिए उसे स्वायत्तता दे दी जाए. जब भी उच्च शिक्षा की समस्याओं पर बात होती है, ऑटोनमी यानी स्वायत्तता को एंटी बायेटिक टैबलेट के रूप में पेश किया जाता है. लेकिन आप किसी भी विश्वविद्यालय को देखिए, चाहे वो प्राइवेट हो या पब्लिक यानी सरकारी क्या वहां सरकार या राजनीतिक प्रभाव से स्वायत्त होने की स्वतंत्रता है. सरकार ही क्यों हस्तक्षेप करती है, वो हस्तक्षेप करना बंद कर दे. कभी आपने सुना है कि वाइस चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया बेहतर की जाएगी, उनका चयन राजनीतिक तौर पर नहीं होगा.
और पढ़ें »
'Unemploymentseries' - 41 वीडियो रिजल्ट्स
और देखें »

Unemploymentseries वीडियो

Unemploymentseries से जुड़े अन्य वीडियो »

 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com