हमारी पार्टियों के लिए बेरोज़गारी कोई मुद्दा है?
Blogs | बुधवार मार्च 20, 2019 11:13 PM IST
2019 के चुनाव में बेरोज़गारी की बात बहुत हो रही है, मगर इस पर न तो सरकार की तरफ से कुछ ठोस आ रहा है और न ही विपक्ष की तरफ से. पक्ष और विपक्ष की उदासीनता के बीच बेरोज़गारों को भी समझ नहीं आ रहा है कि वे अपने मुद्दों का क्या करें. 20 मार्च के इंडियन एक्सप्रेस में जे मजूमदार की खबर छपी है. इस खबर के अनुसार वर्क फोर्स यानी काम करने वालों की तादाद में तेज़ी से गिरावट आई है. पांच साल पहले की तुलना में इस वक्त कम लोग काम पर लगे हुए हैं. 1993-94 के बाद पहली बार आई कार्य बल में गिरावट आई है.
Blogs | गुरुवार दिसम्बर 20, 2018 11:14 PM IST
मुख्यमंत्री कमलनाथ के बयान के बहाने आपने देखा कि भारत के कई राज्यों में उद्योगों में 70 से 90 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रोज़गार देने की नीति है. मगर हमारे पास यह देखने का आंकड़ा नहीं है कि इस नीति से स्थानीय लोगों को कितना रोजगार मिला और वह रोज़गार उस राज़्य के कुल बेरोज़गारों का कितना प्रतिशत था.
सरकारी चयन आयोग इतने लचर क्यों?
Blogs | मंगलवार दिसम्बर 4, 2018 12:35 AM IST
प्राइम टाइम में नौकरी सीरीज़ में हमने आपको कई राज्यों से दिखाया था कि हर राज्य में सरकारी चयन आयोग किस तरह से खिलवाड़ कर रहे हैं. परीक्षा का विज्ञापन निकलता है, मोटी फीस ली जाती है लेकिन परीक्षा कभी अंजाम पर नहीं पहुंचती है. पहुंच भी जाती है तो तीन-तीन चार-चार महीने नौजवान नियुक्ति पत्र के इंतज़ार में गुज़ार देता है.
चुनावों में बेरोजगारी का मुद्दा कहां उठ रहा है?
Blogs | गुरुवार नवम्बर 22, 2018 10:25 PM IST
नौकरी की समस्या गंभीर होती जा रही है. भले ही बेरोज़गारी के बाद भी किसी के चुनाव जीतने या हारने पर असर न पड़े. मैं आपको अपना अनुभव बताता हूं. हर दिन नौजवान नौकरी को लेकर मैसेज करते हैं. उनके लिए कोई दूसरी प्राथमिकता नहीं है.
नौकरियों से परेशान युवा अब मुझे मैसेज भेजना बंद कर दें, प्रधानमंत्री को भेजें
Blogs | शुक्रवार सितम्बर 21, 2018 03:16 PM IST
EPFO ने फिर से नौकरियों को लेकर डेटा जारी किया है. सितंबर 2017 से जुलाई 2018 के बीच नौकरियों के डेटा को EPFO ने कई बार समीक्षा की है. इस बार इनका कहना है कि 11 महीने में 62 लाख लोग पे-रोल से जुड़े हैं. इनमें से 15 लाख वो हैं जिन्होंने EPFO को छोड़ा और फिर कुछ समय के बाद अपना खाता खुलवा लिया. यह दो स्थिति में होता है. या तो आप कोई नई संस्था से जुड़ते हैं या बिजनेस करने लगते हैं जिसे छोड़ कर वापस फिर से नौकरी में आ जाते हैं.
सरकारी नौकरियों में ज्वाइनिंग में देरी क्यों?
Blogs | गुरुवार सितम्बर 20, 2018 11:52 PM IST
मुझे पता है कि आज भी नेताओं ने बड़े-बड़े बयान दिए हैं. बहस के गरमा गरम मुद्दे दिए हैं. लेकिन मैं आज आपको सुमित के बारे में बताना चाहता हूं. इसलिए बता रहा हूं ताकि आप यह समझ सकें कि इस मुद्दे को क्यों देश की प्राथमिकता सूची में पहले नंबर पर लाना ज़रूरी है. सुमित उस भारत के नौजवानों का प्रतिनिधित्व करता है जिसकी संख्या करोड़ों में है. जिन्हें सियासत और सिस्टम सिर्फ उल्लू बनाती है. जिनके लिए पॉलिटिक्स में आए दिन भावुक मुद्दों को गढ़ा जाता है, ताकि ऐसे नौजवानों को बहकाया जा सके. क्योंकि सबको पता है कि जिस दिन सुमित जैसे नौजवानों को इन भावुक मुद्दों का खेल समझ आ गया उस दिन सियासी नेताओं का खेल खत्म हो जाएगा. मगर चिंता मत कीजिए. इस लड़ाई में हमेशा सियासी नेता ही जीतेंगे. उन्हें आप बदल सकते हैं, हरा नहीं सकते हैं. इसलिए सुमित जैसे नौजवानों को हार जाना पड़ता है.
सरकारी नौकरियों की भर्ती में सालों क्यों लगते हैं?
Blogs | मंगलवार अगस्त 28, 2018 12:27 AM IST
हर दिन सोचता हूं कि अब नौकरी सीरीज़ बंद कर दें. क्योंकि देश भर में चयन आयोग किसी गिरोह की तरह काम कर रहे हैं. उन्होंने नौजवानों को इस कदर लूटा है कि आफ चाह कर भी सबकी कहानी नहीं दिखा सकते हैं. नौजवानों से फॉर्म भरने कई करोड़ लिए जाते हैं, मगर परीक्षा का पता ही नहीं चलता है. देश में कोई भी खबर होती है, ये नौजवान दिन रात अपनी नौकरी को लेकर ही मैसेज करते रहते हैं. मेरी नौकरी, मेरी परीक्षा का कब दिखाएंगे. परीक्षा देकर नौजवान एक साल से लेकर तीन साल तक इंतज़ार कर रहे हैं तो कई बार फॉर्म भरने के बाद चार तक परीक्षा का पता ही नहीं चलता है. यह सीरीज़ इसलिए बंद करना ज़रूरी है क्योंकि समस्या विकराल हो चुकी है. जब भी बंद करने की सोचता हूं किसी नौजवान की कहानी सुनकर कांप जाता हूं. तब लगता है कि आज एक और बार के लिए दिखा देते हैं और फिर सीरीज़ बंद नहीं कर पाता.
नौकरी की जंग लड़ते जवान-नौजवान, सरकार से मिला भरोसा कब पूरा होगा?
Blogs | शुक्रवार जुलाई 6, 2018 10:36 PM IST
लाखों अर्धसैनिक बल सेना की तरह समान पेंशन और वेतन की मांग को लेकर सड़क पर हैं, यूपी के 8000 बीटीसी शिक्षक नियुक्ति पत्र मिलने के इंतज़ार में धरने पर बैठे हैं, इन्हीं के साथ 4000 उर्दू शिक्षक नियुक्ति पत्र के इंतज़ार में सड़क पर हैं, पौने दो लाख शिक्षा मित्र समय से वेतन मिलने और 10,000 से 40,000 होने की मांग को लेकर दर दर भटक रहे हैं.
सरकार को नौकरों की कितनी चिंता?
Blogs | शुक्रवार जून 29, 2018 10:49 PM IST
देहरादून का एक वीडियो वायरल हो रहा है. 28 जून के इस वीडियो में दिख रहा है उसमें देखने के लिए कई बातें हैं. एक अध्यापिका हैं जो सिस्टम से झुंझलाई हुई हैं, उनकी कोई नहीं सुन रहा है, सामने एक मुख्यमंत्री हैं जो बैठे तो हैं सुनने के लिए मगर सुनते ही झुंझला जा रहे हैं, एक मीडिया है जो कभी आम लोगों की समस्या से वास्ता नहीं रखता मगर एक मुख्यमंत्री ने बेअदबी की है तो उसमें चटखारे ले रहा है.
शिक्षा व्यवस्था को लेकर कितने गंभीर हैं हम?
Blogs | बुधवार जून 27, 2018 11:33 PM IST
कई बार हमें लगता है कि किसी विश्वविद्यालय की समस्या इसलिए है क्योंकि वहां स्वायत्तता नहीं है इसलिए उसे स्वायत्तता दे दी जाए. जब भी उच्च शिक्षा की समस्याओं पर बात होती है, ऑटोनमी यानी स्वायत्तता को एंटी बायेटिक टैबलेट के रूप में पेश किया जाता है. लेकिन आप किसी भी विश्वविद्यालय को देखिए, चाहे वो प्राइवेट हो या पब्लिक यानी सरकारी क्या वहां सरकार या राजनीतिक प्रभाव से स्वायत्त होने की स्वतंत्रता है. सरकार ही क्यों हस्तक्षेप करती है, वो हस्तक्षेप करना बंद कर दे. कभी आपने सुना है कि वाइस चांसलर की नियुक्ति की प्रक्रिया बेहतर की जाएगी, उनका चयन राजनीतिक तौर पर नहीं होगा.
नौकरी के लिए इतना संघर्ष क्यों?
Blogs | बुधवार जून 20, 2018 11:23 PM IST
कई बार जवानों और किसानों की हालत देखकर लगता है कि हम सब ज़िद पर अड़े हैं कि इनकी तरफ देखना ही नहीं है. समस्या इतनी बड़ी है कि समाधान के नाम पर पुड़िया पेश कर दी जाती है जो मीडिया में हेडलाइन बनकर गायब हो जाती है. अनाज और आदमी दोनों छितराए हुए हैं. न तो दाम मिल रहा है न काम मिल रहा है. सत्ता पक्ष और विपक्ष के लिए ये मुद्दे एक दूसरे की निंदा करने भर के लिए हैं मगर कोई भी ठोस प्रस्ताव जनता के बीच नहीं रखता है कि वाकई क्या करने वाला है, जो कर रहा है वो क्यों चूक जा रहा है. कई बार लगता है कि हमारे राजनेता, हमारे अर्थशास्त्री, सिस्टम में बैठे लोगों ने ज़िद कर ली है कि इन बुनियादी सवालों पर बात नहीं करना है, मीडिया को हर रात कोई न कोई थीम मिल जाता है, सब कुछ इसी थीम की तलाश के लिए हो रहा है. इसके बाद भी भारत के भीतर से तस्वीरें उथला कर सतह पर आ जा रही हैं.
प्राइम टाइम की मुहिम का असर, CBDT ने 505 नौजवानों की लिस्ट जारी की
Blogs | शनिवार जून 2, 2018 01:20 AM IST
आज एक अच्छी ख़बर बताता हूं, हमारी नौकरी सीरीज़ का असर हुआ है, थोड़ा हुआ है मगर गाड़ी आगे बढ़ी है. सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस (सीबीडीटी) ने इनकम टैक्स इंस्पेक्टरों का स्टेट आवंटित कर दिया है. यानी अब 505 उम्मीदवार देख सकेंगे कि उन्हें किस किस राज्य में जाना है.
नौकरी सीरीज का 32वां भाग : बेरोजगारों का दर्द आखिर कौन समझेगा ?
Blogs | शुक्रवार अप्रैल 6, 2018 10:23 PM IST
भारत में बेरोज़गारों की न तो संख्या किसी को मालूम है और न ही उनके जीवन के भीतर की कहानी. हमारे लिए बेरोज़गार हमेशा नाकाबिल नौजवान होता है जो मौके की तलाश में एक ही शहर और एक ही कमरे में कई साल तक पड़ा रहता है. कई बार तो लोग इसलिए भी बेकार कहते हैं कि वह सरकारी नौकरी की तलाश कर रहा है. सरकार चलाने के लिए नेता मारा मारी किए रहते हैं लेकिन जब कोई नौजवान उसी सरकार में अपने लिए संभावना की मांग करता है तो उसे फालतू समझा जाने लगता है. आप या हम हर शहर में बेरोज़गारों की रैली देखते हैं, नज़र घुमा लेते हैं. वे हफ्तों से धरने पर बैठे रहते हैं उनकी परवाह कोई नहीं करता है.
कई साल गुज़र जाते हैं परीक्षा के इंतज़ार में?
Blogs | मंगलवार मार्च 20, 2018 10:07 PM IST
नौकरी सीरीज़ का 30वां अंक है. नेता और नौजवान आमने सामने हैं. नेता अपना मंच चुन लेते हैं और युवाओं पर भाषण दे देते हैं, नौजवान जब अपना मैदान चुनता है तो उनके बीच कोई नेता नज़र नहीं आता है. इस देश में आदमी का नंबर बन गया है मगर कितनी नौकरी मिलती है, कितनों की जाती है, इसका कोई ठोस आंकड़ा नहीं है. इसलिए गोलमोल की बात कर नेता गोलमाल कर जाते हैं.
परीक्षा व्यवस्था पर क्यों उठते हैं सवाल?
Blogs | शुक्रवार मार्च 16, 2018 10:58 PM IST
नौकरी सीरीज़ का 29वां अंक हाज़िर है. दिल्ली में एसएससी मुख्यालय के बाहर हज़ारों छात्र धरने पर बैठे हैं तो पटना की सड़कों पर दारोगा की परीक्षा को लेकर लाठी खा रहे हैं. राजस्थान के अखबारों में वहां हो रही सिपाही की भर्ती को लेकर प्रश्न पत्रों के लीक होने की खबरें छप रही हैं. भारत में ईमानदार परीक्षा व्यवस्था का होना बहुत ज़रूरी है.
नौकरी देने से क्यों बचती है सरकार?
Blogs | मंगलवार मार्च 6, 2018 10:52 PM IST
नौकरी सीरीज़ का 24वां अंक आप देख रहे हैं. झारखंड, पंजाब, राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, हरियाणा, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और महाराष्ट्र के छात्र लगातर हमें भांति-भांति की परीक्षाओं में होने वाली देरी और धांधली के बारे में लिख रहे हैं. हमने कई बार कहा है कि हमारे पास संसाधनों की कमी है. बहुत सी परीक्षाओं को हम कवर भी नहीं कर पाए हैं, लेकिन कोशिश है कि सबका ज़िक्र हो जाए और नौकरी सीरीज़ एक ऐसा डेटा बैंक बन जाए जिसे देखते ही आपको भारत में नौकरियां देने वाले आयोगों की रिपोर्ट मिल जाए.
नौजवानों के करियर से खेलते चयन आयोग
Blogs | सोमवार मार्च 5, 2018 09:49 PM IST
हम नौकरी सीरीज़ के 23वें अंक पर आ गए हैं. यात्रा आगे भी जारी रहेगी. अगर सारे राज्यों से डेटा मंगाएं तो पता चलेगा कि लाख से ज़्यादा नौकरियां कोर्ट केस में फंसी हैं. ज़रूरी नहीं कि कोर्ट के कारण ही लंबित हों, कई बार जांच पूरी न होने के कारण भी ये नौकरियां फंसी हुई हैं.
नौकरी सीरीज का 22वां अंक : सरकारी भर्ती प्रक्रियाओं की सुस्ती टूटी?
Blogs | गुरुवार मार्च 1, 2018 11:01 PM IST
नौकरी सीरीज़ का 22वां अंक आप देखने जा रहे हैं. सिस्टम के भीतर सड़न और मौसम नहीं बदलता है. सरकार बदलती है जो बादलों की तरह उड़ती हुई आती है और धूप छांव खेलती हुई चली जाती है. जिस सिस्टम के कमरों में बैठने के लिए नेता सारा ज़ोर लगा देते हैं वही अब पूछते हैं कि नौजवान सरकार की नौकरी के भरोसे क्यों बैठे हैं. सरकार यह नहीं कहती है कि हमारा भरोसा मत रखो, हम नौकरी नहीं देंगे, उल्टा भरोसा रखने वाले से ही पूछती है कि ये तो बताओ की तुम हम पर भरोसा क्यों करते हो. नौजवानों ने कभी पूछा नहीं कि तुम भी तो बताओ कि सरकार में जाने के लिए फिर क्यों दिन रात मरते हो. सवालों के दौर में इस राजनीति के पास कोई आइडिया नहीं बचा है. वह लगातार थीम की तलाश में है जिसपर बहस हो सके.
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