Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जनवरी 15, 2022 12:49 AM IST हज़ार दुखों से गुज़र रही भारत की पत्रकारिता का दुख आज हज़ार गुना गहरा लग रहा है. जिस पेश को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया है. कमाल ख़ान हमारे बीच नहीं हैं. हम देश और दुनिया भर से आ रही श्रद्धांजलियों को भरे मन से स्वीकार कर रहे हैं. आप सबकी संवेदनाएं बता रही हैं कि आपके जीवन में कमाल ख़ान किस तरीके से रचे बचे हुए थे. कमाल साहब की पत्नी रुचि और उनके बेटे अमान इस ग़म से कभी उबर तो नहीं पाएंगे लेकिन जब कभी आपके प्यार और आपकी संवेदनाओं की तरफ उनकी नज़र जाएगी, उन्हें आगे की ज़िंदगी का सफर तय करने का हौसला देगी. उन्हें ग़म से उबरने का सहारा मिलेगा कि कमाल ख़ान ने टीवी की पत्रकारिता को कितनी शिद्दत से सींचा था. एनडीटीवी से तीस साल से जुड़े थे. एक ऐसे काबिल हमसफर साथी को अलविदा कहना थोड़ा थोड़ा ख़ुद को भी अलविदा कहना है.