Blogs | बुधवार नवम्बर 19, 2014 03:40 PM IST वो मुजरिम नहीं थे, लेकिन उनके सिर कलम कर लिए गए। उनके परिवार उनकी राह देखते रहे, लेकिन पहुंची बस उनके मारे जाने की ख़बर। उनका गुनाह बस इतना था कि वो सच को अपनी आंखों से देखना समझना चाहते थे। राजनीति की दी हुई कैफ़ियतें उन्हें मंज़ूर नहीं थी।