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- 31 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | धर्मेंद्र सिंह |रविवार अप्रैल 30, 2017 06:09 PM IST
    बाणभट्ट ने अपने दौर के सरकारी मुलाजिमों पर जो कटाक्ष किया है वह भारतीय साहित्य में ही नहीं, किसी भी युग में उस तीखेपन के साथ अन्यत्र भाषाओं में भी नहीं मिलता.
  • Blogs | क्रांति संभव |शनिवार अप्रैल 22, 2017 10:38 AM IST
    इस फेसबुक की दुनिया में सड़कों पर दोस्त बनाता एक बाइकर. हाल फ़िलहाल में बहुत कम ऐसे लोग मिलते हैं जिन्हें देखते ही पहली नज़र में महसूस होता है कि वो इन्सपिरेशनल हैं, जिनकी कहानी प्रेरणा दे.
  • Blogs | राजीव मिश्र |शनिवार अप्रैल 15, 2017 01:58 PM IST
    हम पिछले काफी समय से ऐसी बातें सुनते आ रहे हैं जिसे लेकर भारतीय सेना के जवानों, अधिकारियों या कहें कि पूरी सेना का मनोबल गिरता है.
  • Blogs | क्रांति संभव |गुरुवार मार्च 16, 2017 01:15 PM IST
    चिंता और आश्चर्य की बात तो है ही. अपना समाज जो प्रदर्शन और मर्यादा के इतने कड़क पैरामीटर पर जीता है, उठता-बैठता-सोता है, वही हमारा प्रबुद्ध वर्ग आख़िर राहुल गांधी से राजनीति क्यों नहीं छुड़वा रहा?
  • Blogs | Sonal Joshi |शनिवार फ़रवरी 25, 2017 03:12 PM IST
    रंगून को जो शुरूआती प्रतिक्रियाएं मिल रही हैं उससे लगता नहीं कि यह फिल्म कंगना की पिछली हिट तनू वेड्स मनु 2 के बॉक्स ऑफिस कलेक्शन की बराबरी कर पाएगी. इसी बॉक्स ऑफिस हिट की बदौलत कंगना ने रंगून में अपने पुरुष साथी कलाकार से एक रुपये ज्यादा की मांग करने की हिम्मत दिखाई थी.
  • Blogs | विराग गुप्ता |शुक्रवार फ़रवरी 24, 2017 03:18 PM IST
    कलिखो पुल के सुसाइड नोट में बड़े वकील और जजों के नाम पर करोड़ों के लेन-देन की मांग का जिक्र है. सीबीआई के दो पूर्व मुखिया बड़े मामलों को दबाने के मामले में जांच का सामना कर रहे हैं फिर सीबीआई इस सुसाइड नोट की निष्पक्ष जांच कैसे कर पाएगी?
  • Blogs | सचिन जैन |गुरुवार फ़रवरी 23, 2017 06:11 PM IST
    मैंने इतने सालों में एक ही बात समझी है कि जो वंचित और उपेक्षित होता है, वही प्रताड़ित और शोषित होता है. क्या हम इसे खत्‍म नहीं कर सकते? यदि वंचित होना खत्म होगा, तो प्रताड़ना और शोषण अपने आप खत्‍म होगा. मैं चाहती हूं कि हमारी बस्ती में लड़कियों को सम्मानजनक रोज़गार मिलना चाहिए ताकि उन्हें वेश्यावृत्ति न करना पड़े.
  • Blogs | हृदयेश जोशी |गुरुवार फ़रवरी 2, 2017 11:18 AM IST
    राजनीतिक पार्टियों को दिए जाने वाले नकद चंदे को लेकर बजट में लाए गए नए नियम से क्रांति आए न आए, लेकिन ये आंखों का धोखा ज़रूर है.
  • Blogs | राकेश कुमार मालवीय |सोमवार जनवरी 9, 2017 02:32 PM IST
    वो न ‘शानदार’ बोलता है, न ‘जबर्दस्त’ न ‘जिंदाबाद’. सुखदेव किसी के गम मे बावरे भी न हैं. उनका मानसिक संतुलन बिलकुल ठीक है. लेकिन उनका हौसला बीवी की जुदाई में गमगीन दशरथ मांझी से बिलकुल भी कम नहीं है. वही दशरथ मांझी जिसकी कहानी आप रुपहले परदे पर देख चुके हैं. दशरथ ने पहाड़ तोड़ सड़क निकाल दी, सुखदेव ने बंजर पथरीली जमीन खोद पाताल से पानी निकाल दिया.
  • Blogs | शालीन |मंगलवार जनवरी 10, 2017 02:31 PM IST
    बिहार के सतही और जल्दबाज़ी से किए गए आकलन में अक्सर इस जगह और यहां के लोगों की गर्मजोशी, प्यार और मेहरबानी का ज़िक्र नहीं किया जाता - खासतौर पर अगर आप यहां बाहर से रहने आए हैं.
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