'Virag gupta'

- 142 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | विराग गुप्ता |शनिवार अगस्त 31, 2019 06:53 PM IST
    कई साल पहले दिल्ली में अनेक शॉपिंग मॉल तो बन गए, पर उनमें दुकानदारों और ग्राहकों की भारी कमी थी. मॉल के बिल्डरों की शक्तिशाली लॉबी ने राजनेताओं और जजों के बच्चों को अपना पार्टनर बना लिया. उसके बाद अदालती फैसले के नाम पर दिल्ली में सीलिंग का सिलसिला शुरू हो गया. तीर निशाने पर लगा और मॉल्स में दुकानदार और ग्राहक दोनों आ गए. अब वक्त बदल गया है. देश के असंगठित क्षेत्र और छोटे उद्योगों के सामने डिजिटल कंपनियों की पावरफुल लॉबी है.
  • Blogs | विराग गुप्ता |बुधवार अगस्त 14, 2019 01:53 PM IST
    संविधान में अनुच्छेद 370 का प्रावधान भी अल्पकालिक था, जिसे ख़त्म करने में 70 वर्ष लग गए, तो अब UT से पूर्ण राज्य का दर्ज़ा कब और कैसे मिलेगा...? राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार शांति बहाली के बाद पूर्ण राज्य के दर्जे की वापसी हो सकती है, परंतु मणिशंकर अय्यर और वाइको जैसे नेता कश्मीर घाटी में फिलस्तीन जैसी अराजक स्थिति और अलगाव का अंदेशा जताने से बाज़ नहीं आ रहे. नए केंद्रशासित प्रदेशों का जन्म 31 अक्टूबर (सरदार पटेल की जयंती) को होगा, लेकिन उससे पहले नए कानून पर सरकार को सुप्रीम कोर्ट में भी चुनौती का सामना करना पड़ेगा.
  • Blogs | विराग गुप्ता |गुरुवार जुलाई 25, 2019 11:42 AM IST
    सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्य सरकारों से सभी बिल्डरों की जांच करने को कहा है, जिससे बकाया घर खरीदारों को घर और न्याय मिल सके. इस फैसले के सभी पहलुओं को देशभर में लागू करने में खासी मुश्किलें आ सकती हैं.
  • Blogs | विराग गुप्ता |शनिवार जुलाई 13, 2019 02:29 PM IST
    इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार सरकारी अधिकारियों के लिए यह पहली ऐसी गाइडलाइन है, पर यह तथ्यात्मक तौर पर सही नहीं है. आम बजट के पहले के.एन. गोविन्दाचार्य, रामबहादुर राय, पी.वी. राजगोपाल और बासवराज पाटिल ने अमित शाह को प्रतिवेदन देकर दिल्ली हाईकोर्ट के 2014 के आदेश के तहत बनी सरकारी नीतियों के क्रियान्वयन कराने की मांग की थी.
  • Blogs | विराग गुप्ता |शनिवार जुलाई 13, 2019 01:32 PM IST
    पिछले 25 वर्ष से चुनाव आयोग, विधि आयोग, नीति आयोग और संसदीय समिति के प्रतिवेदनों पर इस बारे में बहस होने के बाद केंद्र सरकार ने अब नई समिति बनाने का निर्णय लिया है. आज़ादी के बाद के 72 साल के इतिहास में सही अर्थों में सिर्फ 1957 में ही 'एक देश, एक चुनाव' हो पाए थे, क्योंकि 1952 में हुए आम चुनाव के दौरान तो सभी चुनाव एक साथ होने ही थे.
  • Blogs | विराग गुप्ता |गुरुवार जून 13, 2019 03:04 PM IST
    गिरफ्तार लोगों में से अधिकांश को निचली अदालतें जेल भेज देती हैं, क्योंकि सभी लोग तो सुप्रीम कोर्ट नहीं आ सकते. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद CJM कोर्ट ने 20,000 रुपये की दो ज़मानतों और बंधपत्र दाखिल करने पर पत्रकार प्रशांत कनौजिया को रिहा कर दिया. प्रियंका शर्मा ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का आपत्तिजनक मीम बनाया, जिन्हें माफी की शर्त पर सुप्रीम कोर्ट ने रिहाई दी. दोनों ही मामलों में पुलिस की गलत FIR और बेजा गिरफ्तारी के बावजूद, निचली अदालतों ने रिमांड आदेश पारित कर दिया था. पुलिस और निचली अदालतों के इस गैर-ज़िम्मेदार सिस्टम पर, सुप्रीम कोर्ट द्वारा सख्ती नहीं बरतने से ऐसी घटनाएं बढ़ रही हैं.
  • Blogs | विराग गुप्ता |गुरुवार मई 16, 2019 02:27 PM IST
    पार्टियों के बड़े खर्चे, नेताओं की बद्जुबानी, पेड न्यूज़ और आचार संहिता के संगठित उल्लंघन को रोकने में विफल चुनाव आयोग द्वारा, राजनीतिक विश्लेषण को रोकने का अतिरेकी प्रयास, आयोग की प्रभुसत्ता को और भी अप्रासंगिक बना देगा.
  • Blogs | विराग गुप्ता |मंगलवार मई 7, 2019 09:22 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट के तीन जजों की आंतरिक समिति ने यौन उत्पीड़न के आरोपों पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई को क्लीन चिट दे दी, जिसके बाद विवाद और गहरा गया है. जांच समिति के अनुसार चीफ जस्टिस के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई ठोस आधार नहीं मिला है. आलोचकों के अनुसार न तो पीड़ित महिला का पूरा पक्ष सुना गया और न ही सभी पहलुओं की जांच की गई, तो फिर ठोस आधार कैसे मिलेंगे? जांच समिति द्वारा यदि व्हाट्सऐप कॉल के रिकॉर्ड ही मंगा लिए जाते तो पूरा मामला शीशे की तरह साफ हो जाता.
  • Blogs | विराग गुप्ता |गुरुवार अप्रैल 18, 2019 05:56 PM IST
    मद्रास हाईकोर्ट के दो जजों ने केंद्र सरकार को टिकटॉक ऐप पर प्रतिबंध लगाने का आदेश दिया, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने स्टे करने से इंकार कर दिया. इसके बावजूद टिकटॉक की वेबसाइट और ऐप पूरे भारत में अब भी उपलब्ध है. सवाल यह है कि हाईकोर्ट की सख्ती के बावजूद केंद्र सरकार आदेश पर अमल क्यों नहीं कर रही है.
  • Blogs | विराग गुप्ता |सोमवार अप्रैल 8, 2019 06:01 PM IST
    लोकसभा चुनाव जीतने के लिए सभी पार्टियों ने लुभावने वायदों की बारिश कर दी है. नेताओं के चुनावी वायदों के पीछे बदलाव की विस्तृत रूपरेखा नहीं होती है इसीलिए सरकार बदलने के बावजूद सिस्टम नहीं बदलता है. चुनावों के बाद इन वायदों का क्या हश्र होता है, इसे लोकपाल मामले से समझा जा सकता है.
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