Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार दिसम्बर 26, 2019 11:17 PM IST नागरिकता संशोधन कानून के विरोध प्रदर्शनों के दौरान हिंसा हुई. इस हिंसा के एक ही पहलू की बात हो रही है कि कुछ जगहों पर इसमें शामिल लोगों ने हिंसा की. लेकिन पुलिस की हिंसा पर बात नहीं हो रही है. कोई निंदा नहीं कर रहा है. एक तीसरी तरह की हिंसा है जिस पर बिल्कुल बात नहीं हो रही है. प्रेस, पुलिस या सरकार कोई नहीं कर रहा. जैसे पटना के फुलवारी शरीफ में प्रदर्शनकारियों पर सामने से जो भीड़ पत्थर चलाने आई थी, जिसकी तरफ से प्रदर्शनकारियों पर गोलियां चलीं, वो लोग कौन थे. जैसे मुज़फ्फरनगर में पूर्व सांसद सईदुज़्मा की चार कारों को जलाने वाले कौन थे.