Zara Hatke | Translated by: शंकर पंडित |गुरुवार मार्च 29, 2018 09:24 AM IST जहां आपके चारों तरफ आपके लूटने वाले ही मौजदू हों, वहां आप इमानदारी की कल्पना भी करते हैं तो वह बेमानी ही है. लोग कहते हैं कि आज के समय में न ईमानदारी और भलाई है, और न ही इमानदार लोग. दिल्ली मेट्रों में हर रोज न जाने लाखों लोग सफर करते हैं और कितनों के ही वॉलेट और मोबाइल खो जाते हैं, मगर ऐसे विरले ही कोई खुशनसीब होते होंगे, जिन्हें उनका खोया पर्स मिल गया हो. हालांकि, दिल्ली के गुरप्रीत ऐसे ही खुशनसीब लोगों में से हैं, जिनका खोया पर्स करीब 11 दिन बाद ठीक उसी तरह से उनके पास वापस लौट आया.