'Writers'

- 182 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • India | Reported by: अजय सिंह, Edited by: सूर्यकांत पाठक |गुरुवार अगस्त 1, 2019 07:12 PM IST
    कथा सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती उनके गांव लमही मनाया गया. सरकारी महकमों ने अपनी फ़र्ज़ अदायगी की तो प्राइवेट स्कूल, रंगकर्मी, साहित्यकार और पत्रकारों ने भी अपने कथाकार को याद किया. अब पूरे साल उन्हें सभी उनके अपने हाल पर छोड़ देंगे. तमाम घोषणाओं के बावजूद मुंशी प्रेमचंद का घर और गांव आज भी उपेक्षा का शिकार है. मुंशी जी की जयंती पर उनके पात्र होरी, माधव, घीसू की गहरी संवेदना से जुड़े कलाकार नाटक के जरिए उन्हें याद कर रहे थे. लमही में हर साल उनका जन्म दिवस मनाया जाता है. सरकारी महकमे फ़र्ज़ अदायगी का टेंट भी लगाते हैं. स्मारक स्थल पर कार्यक्रम होते हैं और गांव में मेले जैसा माहौल रहता है. लेकिन अपने कथाकार के प्रति एक दिन के इस प्यार पर गांव के लोगों के अंदर एक दर्द भी है.
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार जुलाई 22, 2019 04:56 PM IST
    पिछले 25 साल से बांग्लादेश से निर्वासित प्रख्यात लेखिका तस्लीमा नसरीन अपनी बाकी सारा जीवन भारत में बिताना चाहती हैं. तस्लीमा स्वीडन की नागरिक हैं और अस्थायी परमिट पर भारत में रह रही हैं. वे भारतीय उपमहाद्वीप में दिल्ली को सबसे बेहतर शहर मानती हैं और यहीं बसना चाहती हैं. भारत में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को लेकर उनका मानना है कि यहां दूसरे देशों की तुलना में काफी आजादी है. सरकार ने तस्लीमा नसरीन का परमिट एक साल के लिए बढ़ा दिया है.
  • Literature | एनडीटीवी |बुधवार जुलाई 17, 2019 04:22 PM IST
    पुस्तक समीक्षाः किताब में समाज, जाति और धर्म से जुड़े अनेक प्रासंगिक सवाल हैं जिनका वाल्मीकि ने तार्किक एवं बेबाक जवाब दिया है. दसअसल, यह किताब मात्र संवाद भर नहीं, साहित्य में दलित विमर्श और समाज में दलितोत्थान के प्रयासों का एक पारदर्शी चेहरा है, जिसमें उनकी कमियां एवं अच्छाइयां सब स्पष्ट हो गई हैं.
  • Bollywood | Written by: नरेंद्र सैनी |शुक्रवार अप्रैल 19, 2019 04:10 PM IST
    हेमंत करकरे (Hemant Karkare) मुंबई में हुए आतंकी हमले में आतंकवादियों की गोलियों का शिकार हुए थे. इसके अलावा जिस केस में साध्वी प्रज्ञा आरोपी थीं, उस मालेगांव सीरियल ब्लास्ट की जांच इनके पास ही थी. हालांकि, उनकी चार्जशीट पर कई तरह के सवाल खड़े हुए थे. बीजेपी ने साध्वी प्रज्ञा (Sadhvi Pragya) को कांग्रेस के दिग्गज नेता दिग्विजय सिंह के खिलाफ भोपाल लोकसभा सीट से उतारा है.
  • Bollywood | Written by: नरेंद्र सैनी |शुक्रवार अप्रैल 5, 2019 02:26 PM IST
    बॉलीवुड राइटर अद्वैता काला (Advaita Kala) ने राहुल गांधी (Rahul Gandhi) को निशाना बनाते हुए ट्वीट (Tweet) किया हैः 'राहुल गांधी पूरे देश का दौरा कर रहे हैं और कहते हैं कि हमें मोदी और बीजेपी को हराना है...'
  • Blogs | प्रियदर्शन |मंगलवार मार्च 26, 2019 09:26 PM IST
    मार्च खत्म होते-होते मौत ने जैसे अपने बही खाते का आखिरी हिसाब वसूल लिया- हिंदी की जानी-मानी लेखक, संपादक और संचयनकर्ता रमणिका गुप्ता को अपने साथ ले गई. पीछे छूट गए हमारी तरह के पेशेवर श्रद्धांजलि लेखक- यह बताने के लिए कि इस साल अर्चना वर्मा, कृष्णा सोबती और नामवर सिंह के बाद हिंदी के साहित्याकाश को हुई चौथी क्षति है और यह जोड़ने के लिए कि 89 को छूती उम्र में रमणिका गुप्ता का निधन शोक का नहीं, एक जीवन की संपूर्णता को महसूस करने का विषय है.
  • Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जनवरी 26, 2019 12:08 AM IST
    एक किताब होती तो आपके लिए भी आसान होता लेकिन जब कोई लेखक रचते-रचते संसार में से संसार खड़ा कर देता है तब उस लेखक के पाठक होने का काम भी मुश्किल हो जाता है. आप एक किताब पढ़ कर उसके बारे में नहीं जान सकते हैं. जो लेखक लिखते लिखते समाज में अपने लिए जगह बनाता है, अंत में उसी के लिए समाज में जगह नहीं बचती है.
  • Blogs | Written by: नरेंद्र सैनी |शुक्रवार जनवरी 25, 2019 11:55 AM IST
    हिंदी साहित्य (Hindi Literature) में कृष्णा सोबती (Krishna Sobti) एक अलग ही मुकाम रखती थीं और उनका व्यक्तित्व उनकी किताबों जितना ही अनोखा था. 1980 में कृष्णा सोबती को उनकी किताब 'जिंदगीनामा' के लिए साहित्य अकादेमी (Sahitya Akademi Award) से नवाजा गया था तो 2017 में हिंदी साहित्य में उनके योगदान के लिए उन्हें ज्ञानपीठ (Jnanpith) पुरस्कार से सम्मानित किया गया.
  • Bollywood | Written by: नरेंद्र सैनी |बुधवार जनवरी 18, 2023 10:22 AM IST
    सआदत हसन मंटो का जन्म 11 मई, 1912 को लुधियाना के एक बैरिस्टर के परिवार में हुआ था. मंटो कश्मीरी मूल के थे और उन्हें इस बात का बहुत नाज भी थी. सआदत हसन मंटो ने पढ़ने की शुरुआत रूसी लिटरेचर से की थी.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार नवम्बर 23, 2018 11:47 PM IST
    जब भी हम सुप्रीम कोर्ट के किसी फ़ैसले की बात करते हैं, बात करने वाले की ज़ुबान पर जज साहिबान की टिप्पणियां और बड़े-बड़े वकीलों की दलीलें होती हैं. पर कई बार हम उस याचिकाकर्ता को भूल जाते हैं जो होता तो बेहद साधारण है मगर अधिकारों के सवाल को लेकर राज्य, जिसे हम बार-बार सरकार कहते हैं उसे बदल देता है.
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