Blogs | शनिवार मई 9, 2015 11:58 PM IST पांच घंटे के सफ़र के बाद यमुनानगर के मुगलावाली गांव की तरफ़ हमारी कार मुड़ी तो धूप सिर के ठीक ऊपर आ चुकी थी। मनरेगा के मज़दूर अपनी सुबह की पाली का काम कर जा चुके थे। एक दो मज़दूर थे जो कुदाल चलाते दिखे, मगर उनके काम की निगरानी करने वाला कोई नहीं था।