Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार सितम्बर 3, 2019 12:30 PM IST ज़ाहिर है मीडिया के स्पेस में तरह-तरह के गांधी गढ़े जाएंगे. उनमें गांधी नहीं होंगे. उनके नाम पर बनने वाले कार्यक्रमों के विज्ञापनदाताओं के उत्पाद होंगे. गांधी की आदतों को खोज खोज कर साबुन तेल का विज्ञापन ठेला जाएगा. हम और आप इसे रोक तो सकते नहीं.