'आज भी खरे हैं तालाब'

- 9 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार जुलाई 4, 2019 04:41 PM IST
    नदियों और जल के बारे में अनुपम मिश्र से कितना कुछ जाना. उनके संपर्क के कारण इस विषय से जुड़े कई बेहतरीन लोगों से मिला. चंडी प्रसाद भट्ट जी के संपर्क में आया, उनके काम को जाना. अनुपम जी के कारण ही ऐसे कई लोगों को जाना जो इस समस्या की आहट को पहले पहचान चुके थे और बचाने की पहल कर रहे थे. 'आज भी खरे हैं तालाब' का मुक़ाबला नहीं.
  • Blogs | विजय बहादुर सिंह |मंगलवार अप्रैल 11, 2017 09:32 PM IST
    अनुपम का जाना उनके घर-परिवार, स्वयं मेरे लिए भी उतनी बड़ी क्षति नहीं, जितनी इस दुनिया और वर्तमान सभ्यता के लिए है. पुराणों में जो हम भगीरथ आदि युगान्तरकारी महान पुरुषों के बारे में पढ़ते हैं, हमारे आज के जमाने में अनुपम उसी वंश और गोत्र के थे.
  • Blogs | राकेश दीवान |मंगलवार दिसम्बर 20, 2016 01:48 PM IST
    हमारे समाज को अभी अनुपम की कम से कम 20 साल और ज़रूरत थी, क्योकि जो काम उन्होंने शुरू किया था, अब जाकर समाजों, सरकारों, नीति निर्माताओं और मीडिया ने समझना शुरू किया है... ऐसे समय में अनुपम जैसे लोगों की ज़्यादा ज़रूरत थी, ताकि उनकी पहल मूर्त रूप ले सके...
  • Blogs | सुधीर जैन |मंगलवार दिसम्बर 20, 2016 01:34 PM IST
    उनके लिए कोई उपमा नहीं सोची जा सकती. वह वाकई अनुपम थे. उनसे मेरी पहचान प्रभाष जोशी ने करवाई थी. सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट के लिए भारतीय जल प्रबंधन पर शोध के सिलसिले में अनुपम जी से पहली मुलाकात हुई, और फिर उनसे राग हो गया.
  • Blogs | राकेश कुमार मालवीय |मंगलवार दिसम्बर 20, 2016 12:32 PM IST
    अनुपम हमारे लिए बहुत कुछ छोड़ गए हैं. एक जीवनशैली, एक लेखनशैली, एक विचारशैली, एक व्यक्तित्वशैली. वह हमें इस दौर में भी कभी निराश नहीं करते. हमेशा उम्मीद बंधाते हैं.
  • Blogs | रवीश कुमार |सोमवार दिसम्बर 19, 2016 09:57 PM IST
    अनुपम मिश्र को खूब पढ़ा है. तीन-चार किताबों को कई बार पढ़ा है. जब भी किताबों से धूलों की विदाई करता हूं, एक बार याद कर लेता हूं. जब भी लगता है कि भाषा बिगड़ रही है तो 'गांधी मार्ग' और 'आज भी खरे हैं तालाब' पढ़ लेता था. उनकी भाषा हिंसा रहित भाषा थी, चिन्ता रहित भाषा थी, आक्रोश रहित भाषा थी. हम सबकी भाषा में यह गुण नहीं हैं. इसीलिए वे अनुपम थे, हम अनुपम नहीं हैं. वे चले गए हैं.
  • India | एजेंसियां |सोमवार दिसम्बर 19, 2016 08:14 PM IST
    केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती ने जाने-माने पर्यावरणविद् और गांधीवादी चिंतक अनुपम मिश्र के निधन पर शोक व्यक्त किया है.
  • Blogs | प्रियदर्शन |मंगलवार दिसम्बर 20, 2016 06:00 PM IST
    अनुपम मिश्र स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस दौर में चिट्ठी-पत्री और पुराने टेलीफोन के आदमी थे. लेकिन वे ठहरे या पीछे छूटे हुए नहीं थे. वे बड़ी तेजी से हो रहे बदलावों के भीतर जमे ठहरावों को हमसे बेहतर जानते थे.
  • India | Reported by: इंडो-एशियन न्यूज़ सर्विस |सोमवार दिसम्बर 19, 2016 04:11 PM IST
    प्रख्यात पर्यावरणविद् वयोवृद्ध और गांधीवादी अनुपम मिश्र नहीं रहे. उन्होंने सोमवार तड़के अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) में अंतिम सांस ली. वह 68 वर्ष के थे. अनुपम मिश्र के परिवार के एक करीबी सूत्र ने बताया कि मिश्र पिछले साल भर से कैंसर से पीड़ित थे.
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