Blogs | धर्मेंद्र सिंह |सोमवार मार्च 27, 2017 12:43 PM IST 'आरा की अनारकली' तो क्या, आरी है, जिसकी अपनी भाषा है, परिवेश है, जीविका है, रंगीला नौटंकी कंपनी है. पूरा साज़-बाज है. गाती है, बजाती है, गालियां खाती है, और गरियाती भी है. अपनी मर्ज़ी की अनारकली है... 'आरा की अनारकली' सत्ताओं के आसपास घूमती है, लेकिन अनारकली ही बने रहना चाहती है. अपनी मर्ज़ी से... अपनी देह के साथ...