Blogs | रतन मणिलाल |मंगलवार अक्टूबर 18, 2016 04:29 PM IST जिस बड़े बहुमत के साथ समाजवादी पार्टी ने सरकार बनाई थी, उसके बाद अपनी किसी भी विफलता के लिए विपक्ष को दोष देना संभव नहीं था, और विपक्षी दलों में वह एकता नहीं थी कि वे एक होकर सत्तारूढ़ पार्टी के खिलाफ कोई आवाज उठा सकें या आन्दोलन कर सकें. ऐसे में पार्टी के अन्दर ही एक तथाकथित विपक्ष का सृजन करके ऐसी स्थिति बनाई गई, जिसकी तुलना सामान्य स्थितियों में विधानमंडल में 'अविश्वास प्रस्ताव' से की जा सकती है. बस, फर्क इतना है कि यहां न तो पार्टी के नेता को इस्तीफा देना है, न नेता को बदलना है.