Blogs | रवीश कुमार |सोमवार जनवरी 30, 2017 01:36 PM IST शिक्षकों की दुनिया की यह विचित्र हकीकत है. अकेले नहीं बोल सकते, तो हर राज्य के शिक्षक मिलकर तो बोल सकते हैं. अपना हक मांग सकते हैं. डरकर तो देख ही लिया है, उससे एडहॉक के अलावा क्या मिला. इसलिए मांगकर देख लीजिए. हो सके, तो लड़कर भी देख लीजिए.