Blogs | प्रियदर्शन |बुधवार फ़रवरी 9, 2022 10:23 PM IST साल 2012 में ईरान की महिला फुटबॉल टीम को ओलिंपिक क्वालिफ़ायर मुक़ाबले खेलने से रोक दिया गया. 2007 में ही फ़ीफ़ा ने सुरक्षा के नाम पर कान और सिर ढंकने पर रोक लगा दी थी. जबकि ईरान की लड़कियां अपने बंद समाज से निकल कर फुटबॉल खेलने की कोशिश कर रही थीं और एक हल्का सा समझौता उन्हें बड़े अवसर दे सकता था. लेकिन जोर्डन की टीम को तब विजेता घोषित कर दिया गया. लेकिन तब फीफा के फ़ैसले को बहुत सारे लोगों ने पश्चिमी दुनिया के अहंकार की तरह देखा. यह दलील दी गई कि ओलिंपिक में मूलतः पश्चिमी ढर्रे के कपड़ों की ही इजाज़त दी जा रही है. इस सांस्कृतिक युद्ध को फिलहाल छोड़ें, लेकिन इस ज़िद की वजह से ईरान की लड़कियों की आज़ादी की ओर बढ़ने की एक कोशिश कुछ पीछे रह गई.