Blogs | रवीश कुमार |रविवार अगस्त 2, 2020 11:53 PM IST रोज़ाना मैसेज आते हैं कि सर, हमारी परीक्षा रद्द करवा दें, कोरोना का ख़तरा है. वे जानते हैं कि मैं शिक्षा मंत्री नहीं हूं, न ही यूजीसी हूं, फिर भी लिखते हैं. छात्र सुप्रीम कोर्ट भी गए थे कि परीक्षा न हो. 10 अगस्त तक सुनवाई टल गई. यूजीसी ने छह जुलाई को आदेश जारी किया है कि सितंबर के अंत तक अंतिम वर्ष की परीक्षा पूरी की जा सकती है. कोई छात्र बाढ़ में फंसा है, कोई होली में घर गया तो तालाबंदी के कारण घर ही रह गया. किताब कापी कहीं और छूट गई. इस बीच कइयों के घर आर्थिक तबाही आई होगी, तो दिल्ली या पढ़ने के शहर आकर किराया देने में ही पसीने छूटेंगे. लेकिन जब कोर्ट से राहत नहीं मिली तो मैं क्या कर सकता हूं. मैं समझ नहीं पाता कि क्या इन छात्रों को उम्मीद करना भी नहीं आता, सिर्फ मुझ लिख देना ही ध्येय है क्या.