Blogs | क्रांति संभव |मंगलवार अगस्त 23, 2016 11:22 AM IST शहरों में जात-पात का अंतर तो पॉलिटिकली इन्करेक्ट हो जाता है, लेकिन अंदर की सच्चाई छोटी-छोटी हरकतों में दिखती है. रोज़मर्रा की आदतों में. वह भी इतने गहरे तक धंसे संस्कार हैं कि नेताओं को गरियाने के वक्त हम यह भूल जाते हैं कि हमारे नेता वैसे ही होते हैं, जैसे हम होते हैं.