Blogs | चिन्मय मिश्र |शुक्रवार फ़रवरी 10, 2017 03:59 PM IST सरदार सरोवर बांध को लेकर नर्मदा बचाओ आंदोलन (नबआ) की याचिका पर अंततः सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ ही गया. तीन दशक की कानूनी लड़ाई के बाद आए फैसले ने प्रसिद्ध चिंतक व पत्रकार प्रभाष जोशी के इस कथन की याद दिला दी कि 'फैसला हुआ है न्याय नहीं.’ इस बार हम शायद दो कदम आगे बढ़े हैं क्योंकि इस फैसले ने 'नबआ' की नैतिकता को ठोस आधार प्रदान कर दिया है.