India | Reported by: अमितेश कुमार, Edited by: विवेक रस्तोगी |शुक्रवार दिसम्बर 9, 2016 11:52 AM IST उत्सवधर्मिता भारतीय संस्कृति में रची-बसी है. आधुनिक बाजार ने अब अपने तरीके से कुछ उत्सव रचे हैं और इसके कारण समाज का एक वर्ग इन उत्सवों में साहित्य, रंगमंच या अन्य कलाओं से जुड़ रहा है. इसमें उसे एक स्टेटस सिम्बल मिलता है और एक ही जगह पर बहुत-सी चीजों से वह मुखातिब होता है, तो उसकी इस रुचि का किंचित विस्तार हो जाता है. मैंने महसूस किया कि जयपुर शहर को इन उत्सवों की आदत लग चुकी है.