'जीआई टैग'

- 13 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Food | Translated by: दीक्षा सिंह |गुरुवार जनवरी 11, 2024 12:55 PM IST
    जीआई टैग मिलने का मतलब है कि वो चीज जिसे ये टैग मिला है उसकी उत्पत्ति उसी जगह से हुई है और उससे उस जगह की पहचान होती है. जैसे पेठे का नाम सुनते ही आगरा का नाम दिमाग में आता है.
  • India | Reported by: रवीश रंजन शुक्ला, Edited by: विजय शंकर पांडेय |शुक्रवार जुलाई 28, 2023 02:33 AM IST
    स्वाद और पोषण से भरपूर काला नमक धान को भगवान बुद्ध का प्रसाद माना जाता है. सिद्धार्थनगर का ओडीओपी होने के साथ इसे जीआई टैग भी हासिल है. इस सबके नाते यह भविष्य में निर्यात के मामले में बासमती को टक्कर दे सकता है.
  • Bihar | Reported by: भाषा |बुधवार अप्रैल 5, 2023 10:30 PM IST
    बिहार के प्रसिद्ध 'मर्चा चावल' (काली मिर्च की तरह दिखने वाले) को सरकार ने जीआई टैग दिया है. यह चावल अच्छी खुशबू और स्वाद वाला होता है और सुगन्धित चूड़ा बनाने के लिए प्रसिद्ध है. जीआई रजिस्ट्री चेन्नई की जीआई टैग पत्रिका के अनुसार मर्चा धान उत्पादक प्रगतिशील समुहाट गांव, सिंगासनी, जिला- पश्चिम चंपारण (बिहार) द्वारा जीआई टैग के लिए आवेदन दिया गया था, जिसे मंजूरी दे दी गई है.
  • Uttar Pradesh | Reported by: मोहम्मद अतहरुद्दीन मुन्ने भारती, Edited by: श्रावणी शैलजा |मंगलवार अप्रैल 4, 2023 09:09 AM IST
    जीआई विशेषज्ञ पद्मश्री डॉ. रजनीकान्त ने बताया कि नाबार्ड उप्र और योगी सरकार के सहयोग से प्रदेश के 11 उत्पादों को इस वर्ष जीआई टैग प्राप्त हुआ है, जिसमें 7 उत्पाद ओडीओपी में भी शामिल हैं और 4 कृषि और उद्यान से संबंधित उत्पाद काशी क्षेत्र से हैं.
  • MP-Chhattisgarh | Reported by: भाषा |बुधवार जून 15, 2022 03:46 PM IST
    शहर के नमकीन-मिष्ठान्न क्रेता एवं विक्रेता कल्याण संघ के सचिव अनुराग बोथरा ने मंगलवार को बताया,‘‘हम जियोग्राफिकल इंडिकेशन्स रजिस्ट्री के सामने जल्द से जल्द दावा पेश करेंगे कि अपने विशिष्ट स्वाद और अलग-अलग चीजें डाल कर इस व्यंजन को परोसने के खास अंदाज के लिए इंदौरी पोहे को जीआई टैग प्रदान किया जाए.’’
  • World | Reported by: भाषा |शुक्रवार जनवरी 29, 2021 08:09 AM IST
    इस अधिनियम के तहत, एक जीआई रजिस्ट्री का गठन किया गया है, जो जीआई को पंजीकृत करेगा तथा जीआई के प्रोपराइटर और अधिकृत इस्तेमालकर्ता के बुनियादी रिकॉर्ड को रखेगा.” उन्होंने कहा कि यह दुरुपयोग या नकल के खिलाफ हमारे उत्पादों की सुरक्षा प्रदान करेगा और गारंटी देगा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में उनका हिस्सा संरक्षित है. ‘‘मैं आपको उन उत्पादों के संबंध में अपने सुझाव भेजने के लिए प्रोत्साहित करता हूं जो पाकिस्तान के बौद्धिक संपदा संगठन के लिए जीआई के रूप में पंजीकृत हो सकते हैं.’’
  • India | Reported by: भाषा |बुधवार दिसम्बर 30, 2020 03:22 PM IST
    एक मीडिया रिपोर्ट में यह जानकारी दी गई. कानून के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में किसी उत्पाद का पंजीकरण कराने से पहले उसे उस देश के भौगोलिक संकेतक (जीआई) कानूनों के तहत संरक्षित किया जाना चाहिए. समाचार पत्र ‘द डॉन’ ने बताया कि पाकिस्तान में इस साल मार्च में लागू हुए भौगोलिक संकेतक (पंजीकरण और संरक्षण) अधिनियम 2020 में ऐसा कोई नियम नहीं हैं और बासमती अभी तक पाकिस्तान में एक संरक्षित उत्पाद नहीं है.
  • India | Reported by: अखिलेश शर्मा |शनिवार अगस्त 8, 2020 03:41 AM IST
    मध्यप्रदेश को बासमती चावल की जीआई टैग मिलने के नाम पर बीजेपी और कांग्रेस के बीच राजनीति तेज हो गयी है. पहले पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर पंजाब तथा अन्य राज्यों के हित में मध्यप्रदेश को बासमती चावल की जीआई टैग की अनुमति नहीं देने का अनुरोध किया था.
  • India | Reported by: अनुराग द्वारी, Edited by: मानस मिश्रा |शुक्रवार अगस्त 7, 2020 12:46 PM IST
    बासमती चावल की वजह से मध्यप्रदेश और पंजाब के मुख्यमंत्रियों में ठन गई है. मामला प्रधानमंत्री दफ्तर तक पहुंच गया है. 'कड़कनाथ' मुर्गे के बाद मध्यप्रदेश ने बासमती चावल के जीआई टैग के लिए फिर अपना दावा ठोका है. जवाब में पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री को पत्र‍ लिखकर कहा है कि मध्यप्रदेश बासमती उगाने वाले विशेष क्षेत्र में नहीं आता. ऐसे में उसे बासमती का जीआई टैग देना जीआई टैगिंग के उद्देश्य को ही बर्बाद कर देगा. मध्यप्रदेश में तो 27 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हैं, किसानों की कर्जमाफी, बिजली बिल, यूरिया जैसे मुद्दे तो हैं ही, अब दो राज्यों के बीच चावल युद्ध से भी कांग्रेस-बीजेपी के बीच नई लड़ाई शुरू हो गई है.
  • India | भाषा |सोमवार जुलाई 29, 2019 06:57 PM IST
    साल 2015 से, ओडिशा और पश्चिम बंगाल के बीच रसगुल्ले की शुरुआत को लेकर जंग चल रही है. बंगाल को 2017 में उसके 'रसगुल्ले' के लिए जीआई टैग प्राप्त हुआ था. इसके अगले साल, ओडिशा लघु उद्योग निगम लिमिटेड (ओएसआईसी) ने रसगुल्ला कारोबारियों के समूह उत्कल मिष्ठान व्यावसायी समिति के साथ मिलकर 'ओडिशा रसगुल्ले' को जीआई टैग देने के लिए आवेदन किया था. 
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