Blogs | गुरुवार दिसम्बर 4, 2014 06:31 PM IST इसमें कोई दो राय नहीं कि जन-धन योजना सराहनीय है और हमारी कोशिश आलोचना से कहीं ज्यादा हकीकत बताने और दिखाने की है, लेकिन जब मकसद पूरा न हो रहा हो और लोगों की बेचारगी अब भी बरकरार हो तो जरूरत नए सिरे से चिंतन-मंथन की है। नहीं तो डर है कि यह योजना भी कहीं सरकारी न बनकर रह जाए।