Blogs | रवीश कुमार |सोमवार फ़रवरी 13, 2017 11:12 PM IST एक ऐसे समय में जब न्यायपालिका पर सरकार के भारी पड़ने की ख़बरें आती रहती हैं, एक फिल्म न्यायपालिका की तरफ से जनता में अपनी गवाही देने आई है. फिल्म की कहानी आख़िरी सीन से शुरू होती है. कैमरा जब उठने के अंदाज़ में ज़ूम आउट होता हुआ कोर्ट रूम से बाहर आने लगता है, जाते-जाते जज साहब 3 करोड़ लंबित मुकदमों और इक्कीस हज़ार जजों की संख्या का हाल बताते हुए कहते हैं कि कभी-कभी तो ऐसे केस आते हैं जब लगता है कि बदबूदार कोर्ट रूम में अपने होने का मकसद सार्थक हो रहा है.