'टीवी पत्रकारिता'

- 25 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Career | Edited by: रितु शर्मा |मंगलवार मई 31, 2022 02:02 PM IST
    CUET PG, IIMC प्रवेश सूचना 2022-23 में कहा गया है कि अंग्रेजी पत्रकारिता, हिंदी पत्रकारिता, विज्ञापन और जनसंपर्क, रेडियो और टीवी पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में पीजी डिप्लोमा की प्रवेश परीक्षा एनटीए के साथ-साथ आयोजित की जाएगी. 
  • Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार मई 19, 2022 10:08 PM IST
    कई बार टीवी की रिपोर्टिंग में किसी ग़रीब की कहानी उसके आंसुओं के साथ भावुक बना देती है, लेकिन उसमें ग़रीबी के मूल कारणों का ज़िक्र नहीं होता, जिसकी जवाबदेही होनी चाहिए वह सरकार नहीं होती है, उसकी नीतियां नहीं होती हैं. इस तरह से जहां आपकी नज़र होनी चाहिए, वहां से हटाकर रोते हुए ग़रीब पर टिका दी जाती है ताकि उसकी ग़रीबी नीतियों का नतीजा न लगे, उसकी अपनी नाकामी लगे.
  • Blogs | रवीश कुमार |शनिवार जनवरी 15, 2022 12:49 AM IST
    हज़ार दुखों से गुज़र रही भारत की पत्रकारिता का दुख आज हज़ार गुना गहरा लग रहा है. जिस पेश को अपने पसीने से कमाल ख़ान ने सींचा वो अब उनसे वीरान हो गया है. कमाल ख़ान हमारे बीच नहीं हैं. हम देश और दुनिया भर से आ रही श्रद्धांजलियों को भरे मन से स्वीकार कर रहे हैं. आप सबकी संवेदनाएं बता रही हैं कि आपके जीवन में कमाल ख़ान किस तरीके से रचे बचे हुए थे. कमाल साहब की पत्नी रुचि और उनके बेटे अमान इस ग़म से कभी उबर तो नहीं पाएंगे लेकिन जब कभी आपके प्यार और आपकी संवेदनाओं की तरफ उनकी नज़र जाएगी, उन्हें आगे की ज़िंदगी का सफर तय करने का हौसला देगी. उन्हें ग़म से उबरने का सहारा मिलेगा कि कमाल ख़ान ने टीवी की पत्रकारिता को कितनी शिद्दत से सींचा था. एनडीटीवी से तीस साल से जुड़े थे. एक ऐसे काबिल हमसफर साथी को अलविदा कहना थोड़ा थोड़ा ख़ुद को भी अलविदा कहना है. 
  • Blogs | प्रियदर्शन |शुक्रवार जनवरी 14, 2022 01:29 PM IST
    वे कई मायनों में अनूठे और अद्वितीय थे. टीवी खबरों की तेज़ रफ़्तार भागती-हांफती दुनिया में वे अपनी गति से चलते थे. यह कहीं से मद्धिम नहीं थी. लेकिन इस गति में भी वे अपनी पत्रकारिता का शील, उसकी गरिमा बनाए रखते थे. यह दरअसल उनके व्यक्तित्व की बुनावट में निहित था. जीवन ने उन्हें पर्याप्त सब्र दिया था. वे तेज़ी से काम करते थे, लेकिन जल्दबाज़ी में नहीं रहते थे.
  • Blogs | रवीश कुमार |शुक्रवार दिसम्बर 17, 2021 11:48 PM IST
    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सात साल में एक भी खुली प्रेस कांफ्रेंस नहीं की है. काशी कवरेज के समय दो दिनों तक लगातार टीवी पर रहते हैं, लेकिन उनके एक सवाल जवाब नहीं होता है. मीडिया में रहने के बाद भी मीडिया के सवालों से इतने दूर. 
  • Blogs | रवीश कुमार |रविवार दिसम्बर 5, 2021 01:06 AM IST
    भारत की टेलीविज़न पत्रकारिता में सवाल पूछने की यात्रा की पहचान विनोद दुआ से बनती है. पूछने की पहचान के साथ उनकी पत्रकारिता जीवन भर जुड़ी रही. आज हमें बताते हुए अच्छा नहीं लग रहा कि हमने भारतीय टेलिविज़न की एक शानदार हस्ती को खो दिया.
  • Career | Reported by: भाषा |मंगलवार अप्रैल 6, 2021 01:22 PM IST
    भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के कई छात्रों ने सोमवार को कैंपस को फिर से खोलने और दूसरे सेमेस्टर की फीस माफ करने की मांग को लेकर प्रदर्शन किया. आईआईएमसी के हिंदी पत्रकारिता, उर्दू पत्रकारिता और रेडियो एवं टीवी विभाग के छात्रों के समूह ने आरोप लगाया कि दूसरे सेमेस्टर में शारीरिक उपस्थिति के साथ (ऑफलाइन) कक्षाएं आयोजित किए जाने का वादा किए जाने के बावजूद संस्थान 30 मार्च से ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहा है.
  • India | Reported by: भाषा |मंगलवार अप्रैल 6, 2021 12:44 AM IST
    आईआईएमसी के हिंदी पत्रकारिता, उर्दू पत्रकारिता और रेडियो एवं टीवी विभाग के छात्रों के समूह ने आरोप लगाया कि दूसरे सेमेस्टर में शारीरिक उपस्थिति के साथ (ऑफलाइन) कक्षाएं आयोजित किए जाने का वादा किए जाने के बावजूद संस्थान 30 मार्च से ऑनलाइन कक्षाएं आयोजित कर रहा है.
  • Blogs | रवीश रंजन शुक्ला |बुधवार अक्टूबर 7, 2020 03:48 PM IST
    पुलिस बेरीकेटिंग के नजदीक हम लोग लाइव की तैयारी कर रहे थे..सुबह के आठ बजने वाले थे...नर्म धूप धीरे-धीरे तीखी हो रही थी लेकिन हवा में अब भी  हल्की ठंड मौजूद थी. गांव जाने वाले रास्ते को पुलिस बेरीकेट से बंद कर दिया गया था और एक इंस्पेक्टर जीप के बोनट पर ड्यूटी बदलने का चार्ट बना रहा था. रात भर की ड्यूटी से हलकान पुलिस और PAC वालों के चेहरे तो मास्क में छिपे थे लेकिन कोई बेरीकेट तो कोई दीवार के सहारे टिका शरीर को थोड़ा आराम देने की कोशिश कर रहा था. असहाय सी दिखने वाली सबकी आंखें बस बिना उम्मीद मीडिया के कैमरे और रिपोर्टर पर टिकी थी. गोरिल्ला युद्ध की तरह अचानक लस्त पस्त पड़ी पुलिस फोर्स को देखकर एक महिला एंकर बेरीकेट खींचकर अंदर दाखिल हुई और लाइव में चीखते हुए.. ये देखिए किस तरह हमें रोकने की कोशिश हो रही है लेकिन हम इंसाफ दिलाकर रहेंगे...
  • India | Written by: मानस मिश्रा |सोमवार सितम्बर 9, 2019 03:53 PM IST
    हिंदी पत्रकारिता के लिए गौरव का दिन है. आज फिलीपीन्स की राजधानी मनीला में एनडीटीवी इंडिया के रवीश कुमार को रेमॉन मैगसेसे सम्मान प्रदान किया गया है. उनको सम्मान देने वालों ने माना है कि रवीश कुमार उन लोगों की आवाज़ बनते हैं जिनकी आवाज़ कोई और नहीं सुनता. पिछले दो दशकों में एनडीटीवी में अलग-अलग भूमिकाओं में और अलग-अलग कार्यक्रमों के ज़रिए रवीश कुमार ने पत्रकारिता के नए मानक बनाए हैं. एक दौर में रवीश की रिपोर्ट देश की सबसे मार्मिक टीवी पत्रकारिता का हिस्सा बनता रहा. बाद में प्राइम टाइम की उनकी बहसें अपने जन सरोकारों के लिए जानी गईं. और जब सत्ता ने उनके कार्यक्रम का बहिष्कार कर दिया तो रवीश ने जैसे प्राइम टाइम को ही नहीं, टीवी पत्रकारिता को ही नई परिभाषा दे डाली. सरकारी नौकरियों और इम्तिहानों के बहुत मामूली समझे जाने वाले मुद्दों को, शिक्षा और विश्वविद्यालयों के उपेक्षित परिसरों को उन्होंने प्राइम टाइम में लिया और लाखों-लाख छात्रों और नौजवानों की नई उम्मीद बन बैठे. जिस दौर में पूरी की पूरी टीवी पत्रकारिता तमाशे में बदल गई है- राष्ट्रवादी उन्माद के सामूहिक कोरस का नाम हो गई है, उस दौर में रवीश की शांत-संयत आवाज़ हिंदी पत्रकारिता को उनकी गरिमा लौटाती रही है. मनीला में रेमॉन मैगसेसे सम्मान से पहले अपने व्याख्यान में उन्होंने कहा कि अब लोकतंत्र को नागरिक पत्रकार की बचाएंगे और वे ख़ुद ऐसे ही नागरिक पत्रकार की भूमिका में हैं.
और पढ़ें »
'टीवी पत्रकारिता' - 22 वीडियो रिजल्ट्स
और देखें »
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com