Blogs | अखिलेश शर्मा |सोमवार जुलाई 16, 2018 09:08 PM IST गरीबों, किसानों, बेरोजगारों, दलितों, मजदूरों, पिछड़ों के मुद्दे जैसे कहीं पीछे छूट गए हैं और देश में सिर्फ एक ही मुद्दा बच गया है- हिंदू-मुसलमान का. देश की दो सबसे बड़ी पार्टियां हिंदू और मुसलमान के सवाल पर आपस में उलझी हुई हैं. याद नहीं आता कि राजनीतिक शब्दावली में हिंदू-मुसलमान शब्दों का इतने दुस्साही ढंग से खुलकर इस्तेमाल आखिरी बार कब किया गया था. पीएम नरेंद्र मोदी तीन तलाक के मुद्दे पर कांग्रेस से पूछ रहे हैं कि वो केवल मुसलमान पुरुषों की पार्टी है या उसे मुस्लिम महिलाओं की भी चिंता है? यही नहीं वे पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के इस पुराने बयान की भी याद दिला रहे हैं, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश के संसाधनों पर पहला हक अल्पसंख्यकों का भी है.