Blogs | रवीश कुमार |गुरुवार सितम्बर 19, 2019 01:25 AM IST पेड न्यूज़ का नया रूप आया है. आया है, तो क्या कमाल आया है. क्या आपने या किसी नॉन रेज़िडेंट इंडियन ने यह सुना है कि सरकार अपनी योजनाओं की तारीफ छपवाने के लिए टेंडर निकाले और पत्रकारों से कहे कि वे अर्जी दें कि कैसे तारीफ करेंगे? विदेशों में ऐसा होता है या नहीं, ये तो नान रेज़िडेंट इंडियन ही बता सकते हैं कि क्या वाशिंगटन पोस्ट, गार्डियन, न्यूयार्क टाइम्स अपने पत्रकारों से कहे कि वे सरकार का टेंडर लें, उसकी योजना की जमकर तारीफ करते हुए लेख लिखें और फिर उसे दफ्तर ले आएं ताकि फ्रंट पेज पर छाप सकें? इसलिए कहा कि ऐसा कमाल बहुत कम होता है. युगों-युगों में एक बार होता है जब चाटुकारिता आफिशियल हो जाती है. वैसे भी होती है लेकिन जब विज्ञापन निकले, तारीफ के पैसे मिलें, यह बताया जाए तो चाटुकारिता पारदर्शी हो जाती है.