Blogs | दयाशंकर मिश्र |शुक्रवार अगस्त 26, 2016 12:07 PM IST हर छोड़ी बड़ी बात में निराश, मरने-मारने को आतुर शहरी समाज को दीना माझी से सब्र, प्रेम का सबक सीखना चाहिए, और जिद का भी. लाश को कंधे पर लादे यह जो दीना जा रहा है, वह अपनी जीवन संगिनी नहीं हमारी व्यवस्था की लाश ढो रहा है.