Blogs | प्रियदर्शन |गुरुवार अगस्त 11, 2016 06:12 PM IST वे जैसे धीमी गति से चलने वाले समाचारों के दिन थे- हालांकि कतई उनींदे नहीं। उन दिनों एक अजब सी ऊष्मा, एक अजब सी ऊर्जा पूरे जीवन और समाज में दिखती थी। बेशक, आज जैसी दानवी रफ़्तार उन दिनों नहीं थी जिसमें हर कोई जैसे हांफता हुआ, अपने विगत को कुचलता हुआ, सब कुछ भूलता हुआ, बस दौड़े जा रहा है।