'पुरुष प्रधान समाज'

- 6 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Bollywood | Edited by: प्रियंका तिवारी |मंगलवार अगस्त 9, 2022 02:39 PM IST
    इस फिल्म के हार्ड हिटिंग और दिलचस्प पोस्टर पर सिया के दर्द, डर, गुस्से और लाचारी के इमोशन्स के कॉकटेल की एक झलक दिखती है . निर्देशक मनीष मुंद्रा कहते हैं, सिया अनगिनत महिलाओं द्वारा सहने वाले अपराधों के पीछे के पाखंड पर रोशनी डालती है.
  • MP-Chhattisgarh | भाषा |रविवार मई 13, 2018 05:56 PM IST
    पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ मारपीट को सामान्य घटना माना जाता है और कई मामलों में तो महिलाएं इस बारे में शिकायत तक नहीं करतीं. पर अब जमाना बदल रहा है. आंकड़े बता रहे हैं कि महिलाओं के हाथों पिटने वाले पुरुष भी कम नहीं हैं और वह इस पिटाई की बाकायदा शिकायत भी करने लगे हैं.
  • Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार अप्रैल 24, 2018 11:14 PM IST
    जिस देश और समाज में बात-बात में औरतों को मार देना आसान हो, वहां औरतों के खिलाफ होने वाली हिंसा को लेकर हम कभी ईमानदार नहीं हो सकते हैं. बलात्कार की घटना के प्रति कई बार हम इतने सामान्य हो जाते हैं कि फर्क ही नहीं पड़ता और कई बार इतना गुस्सा हो जाते हैं कि बहुत से लोग फांसी की बात करने लगते हैं. हाथ काट लेने से लेकर चौराहे पर बांध कर पत्थरों से मारने की बात करने लगते हैं. वे बताते हैं कि उन्हें इतना गुस्सा आ गया है ऐसी ख़बरों को सुनकर. उनके भीतर हिंसा की ऐसी विभत्स कल्पनाएं कैसे पनपने लगती हैं, इसका कोई अध्ययन नहीं है.
  • India | भाषा |सोमवार दिसम्बर 12, 2016 02:26 PM IST
    तमिल सुपरस्टार रजनीकांत ने दिवंगत मुख्यमंत्री जयललिता को श्रद्धांजलि अर्पित की और उन्हें ‘कोहिनूर हीरा’ बताया जिन्होंने पुरुष प्रधान समाज में मुश्किलों के बीच अपना रास्ता तैयार किया.
  • Filmy | Reported by: IANS |शनिवार अप्रैल 2, 2016 07:13 PM IST
    अपने मुखर विचारों के लिए पहचानी जाने वाली अभिनेत्री सोनम कपूर का कहना है कि यह पुरुष प्रधान समाज है लेकिन धीरे-धीरे चीजें बदल रही हैं। सोनम ने कहा, "यह पुरुष प्रधान दुनिया और पुरुष प्रधान समाज है लेकिन मुझे लगता है धीरे-धीरे और लगातार चीजें बदल रही हैं।"
  • Blogs | Sarvapriya Sangwan |गुरुवार फ़रवरी 11, 2016 06:13 PM IST
    स्कूल के वक़्त मेरे पिता आदर्श लड़की की परिभाषा बताते थे। लड़की जो आंखें झुका कर रहे, सलवार-कमीज़ पहने, फालतू बात ना करे। मैंने आंठवी, नौवीं में ही सूट पहनना शुरू कर दिया था। स्कूल में कभी किसी लड़के से बात करने की हिम्मत तक ना हुई। किसी ने कभी कोशिश भी की तो रोने लगती थी।
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