Blogs | अनिता शर्मा |गुरुवार अप्रैल 23, 2020 05:01 PM IST मुझे याद रहता है कि किताब में कब और किस लाइन को मैंने दो बार, तीन बार या चार बार पढ़ा था... कब किसी आसान-सी बात को समझने के लिए उसे (किताब को) बार-बार टोक-टोककर परेशान किया था, कब मैंने दांतों तले अंगुली दबाई, कब मैं उसके साथ रोई और कब मुस्कुराई थी... और हां, कब मैंने उसे गुस्से में खुद से दूर झटका था और कब सीने से लगाकर रात का सबसे चमकीला तारा उसमें बुकमार्क बनाकर रखा था...