Blogs | राकेश कुमार मालवीय |बुधवार फ़रवरी 1, 2017 05:51 PM IST यह कहना सही नहीं लगता कि नागरिक देश के लिए अपना योगदान नहीं देते. आरोप तो यह है कि देश की व्यवस्थाएं ही इस कर से देश की सेवा पूरे ईमान से नहीं कर पातीं. थोड़ा-सा व्यंग्य आपने हम पर कर दिया, चलिए, थोड़ा-सा हम भी आप पर कर देते हैं. बजट में हिसाब बराबर हुआ.