Blogs | डॉ विजय अग्रवाल |शुक्रवार अक्टूबर 21, 2016 11:02 PM IST जो लोग भी समाज में; विशेषकर भारत जैसे बहुविध एवं लोकतांत्रिक समाज में होने वाले परिवर्तनों की प्रक्रिया को जानते हैं, उन्हें अभी तीन बार तलाक कहने तथा मुस्लिम समाज की बहुविवाह प्रथा जैसे मुद्दों पर हो रही खींचातानी बहुत अजीब नहीं लग रही होगी. इस तरह के मामलों में; युग चाहे जो भी रहा हो, धर्म और समाज चाहे जो भी रहे हों, होता वही है, जो अभी हो रहा है. साथ ही यह भी कि होगा वह ही, जिसके कंधे पर राजनीतिक शक्ति का साथ होगा.