Zara Hatke | शुक्रवार मई 2, 2014 12:21 PM IST आपकी शख़्सियत और शहनाई पर लिखने के क़ाबिल नहीं हूं, इसलिए सोचा कि आपको ख़त लिखूं। इस बात की माफ़ी मांगते हुए कि आपको मैं भी भूल गया हूं। आप याद आते हैं, पर कभी आपकी ख़बर नहीं ली। आपसे मिलकर लौटते हुए यही सोच रहा था कि कितना कम मिला आपसे, मगर कितना ज़्यादा दे दिया है आपने।