'मंदिर बनाने का फैसला'

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  • India | Reported by: भाषा |बुधवार मार्च 27, 2024 05:30 PM IST
    एक स्थानीय मंदिर में दर्शन के दौरान एक पुजारी ने प्रार्थना की कि शिवकुमार को भगवान का आशीर्वाद मिले और वह मुख्यमंत्री बनें.
  • India | Reported by: भाषा |रविवार सितम्बर 20, 2020 11:34 PM IST
    गौरतलब है कि उच्चतम न्यायालय ने पिछले साल नौ नवंबर को राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद प्रकरण में फैसला सुनाते हुए विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण कराने और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही किसी प्रमुख स्थान पर पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का आदेश दिया था.
  • India | Written by: मानस मिश्रा |बुधवार अगस्त 5, 2020 08:24 AM IST
    अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए आज भूमिपूजन सहित कई कार्यक्रम हैं. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के अलावा तमाम बडे राजनेता और साधु संतों सहित 175 आमंत्रित लोग इस ऐतिहासिक अवसर के साक्षी बनेंगे. पीएम मोदी सुबह 11:30 बजे से लेकर करीब 3 घंटे तक अयोध्या में रहेंगे. स्थानीय लोगों का कहना है कि जो अयोध्या शहर पता नहीं कितने सालों तक विवाद का केंद्र बना रहा आज उसे पहली बार इतनी खूबसूरती सजाया गया है. अयोध्या सालों तक विवाद का केंद्र रही है. करीब 100 साल से ज्यादा तक कानूनी और राजनीतिक लड़ाई के बाद आखिरकार रामलला के लिए आज राम मंदिर निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा. बीते साल 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की 5 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने इसका फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने फैसले में कहा था कि सुन्नी वक्फ बोर्ड इस विवादित जमीन पर अपना मालिकान हक साबित नहीं कर पाया है. वहीं पुरातत्व विभाग की ओर से दी गई रिपोर्ट में भी वहां मंदिर होने के प्रमाण पेश किए गए हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने भी यह कहा कि पुरातत्व विभाग ये बात नहीं बता पाया है कि क्या वहां पर किसी मंदिर को गिराकर मस्जिद बनाई गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा मुस्लिम पक्ष को विवादित स्थल से दूर 5 एकड़ जमीन मस्जिद बनाने के लिए देने का भी आदेश दिया.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |गुरुवार दिसम्बर 12, 2019 07:09 PM IST
    Ayodhya Case: अयोध्या (Ayodhya) के राम जन्मभूमि - बाबरी मस्जिद जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के फैसले के खिलाफ दाखिल की गईं सभी पुनर्विचार याचिकाएं गुरुवार को सुनवाई के बाद खारिज कर दी गईं. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था. अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ के 9 नवम्बर के फैसले पर पुनर्विचार के लिए कुल 18 याचिकाएं दाखिल की गई थीं. इनमें 9 याचिकाएं पक्षकारों की ओर से और बाकी नौ अन्य याचिकाकर्ताओं की थीं.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार दिसम्बर 11, 2019 09:50 PM IST
    अयोध्या मामले (Ayodhya Case) में दाखिल पुनर्विचार याचिकाओं (Review Petition) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में गुरुवार को सुनवाई होगी. यह सुनवाई चेंबर में होगी. सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या जमीन विवाद मामले में नौ नवंबर को अपना फैसला सुनाया था. अदालत ने विवादित जमीन रामलला को यानी राम मंदिर बनाने के लिए देने का फैसला किया था. अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों की विशेष पीठ के 9 नवम्बर के फैसले पर पुनर्विचार के लिए कुल 18 याचिकाएं दाखिल की गई हैं. इनमें 9 याचिकाएं पक्षकारों की ओर से हैं और बाकी नौ अन्य याचिकाकर्ता हैं.
  • India | Reported by: कमाल खान, Edited by: सूर्यकांत पाठक |बुधवार नवम्बर 20, 2019 08:31 PM IST
    अयोध्या (Ayodhya) के राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद जमीन विवाद में सुप्रीम कोर्ट के फैसले के फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिका (Review Petition) फाइल करने के मुद्दे पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड में दरार पैदा हो गई है. आम मुसलमानों के अलावा बोर्ड के तमाम मेंबर निजी तौर पर इसके खिलाफ हैं. बोर्ड के मेंबर और बड़े धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद ने मांग की है कि बोर्ड के अध्यक्ष अपना वीटो पावर इस्तेमाल करके रिव्यू पिटीशन फाइल होने से रोकें, क्योंकि बोर्ड ने ही ऐलान किया था कि सुप्रीम कोर्ट का जो भी फैसला होगा वो मानेगा. मौलाना कल्बे जव्वाद देश के बड़े शिया मौलाना हैं. वे अयोध्या के मुक़दमे में मस्जिद की तरफ से गवाह भी रहे हैं. उनका कहना है कि पर्सनल लॉ बोर्ड का रिजोल्यूशन था कि सुप्रीम कोर्ट का फ़ैसला बोर्ड मानेगा. इसलिए अब फ़ैसले के खिलाफ रिव्यू दाखिल करना वादाखिलाफी है.
  • Uttar Pradesh | Reported by: ANI, Edited by: शहादत |मंगलवार नवम्बर 12, 2019 08:26 AM IST
    इसके साथ ही कोर्ट ने मंदिर निर्माण के लिए सरकार को तीन महीने के अंदर एक ट्रस्ट बनाने का भी आदेश दिया है. सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद लोग मंदिर निर्माण में सहयोग देने के लिए आगे आ रहे हैं. सहयोग करने वाले इन लोगों में विलाल अहमद का नाम भी शामिल है. विलाल अहमद आगरा के रहने वाले हैं और उन्होंने राम मंदिर निर्माण में सहयोग देते हुए 1,100 रुपए का एक चेक जिला मस्जिस्ट्रेट को सौंपा है. बता दें, विलाल अहमद नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया (NSUI) के जिलाध्यक्ष हैं. 
  • India | Written by: Samarjeet Singh |रविवार नवम्बर 10, 2019 08:06 AM IST
    सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के विवादित जमीन को लेकर अपना फैसला सुना दिया है. कोर्ट ने अपने फैसले में इस जमीन पर रामलला विराजमान का मालीकाना हक बताते हुए तमाम विवादित हिस्सा रामलला के नाम कर दिया. हालांकि, कोर्ट ने मस्जिद बनाने के लिए मुसलमानों को भी अयोध्या में कहीं दूसरी जगह पांच एकड़ जमीन देने का फैसला किया है. कोर्ट ने 16वीं शताब्दी में बने बाबरी मस्दिज को 1992 में तोड़ने को भी गैर-कानूनी बताया है. बता दें कि अयोध्या का यह विवाद कई दशकों से चला आ रहा था जो अब कोर्ट के फैसले के साथ खत्म हो गया है. 
  • India | Reported by: NDTV.com, Translated by: विवेक रस्तोगी |शनिवार नवम्बर 9, 2019 03:39 PM IST
    दशकों पुराने तथा पूरे देश को आंदोलित करते रहे केस में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या में विवादित भूमि का कब्ज़ा सरकारी ट्रस्ट को मंदिर बनाने के लिए दे दिया गया है, तथा उत्तर प्रदेश के इसी पवित्र शहर में एक 'प्रमुख' स्थान पर मस्जिद के लिए भी ज़मीन आवंटित की जाएगी. इस केस में वादी भगवान रामचंद्र के बालस्वरूप 'रामलला' को 2.77 एकड़ ज़मीन का मालिकाना हक दिया गया है.
  • India | Written by: मानस मिश्रा |शनिवार नवम्बर 9, 2019 01:45 PM IST
    सुप्रीम कोर्ट (SC) ने अयोध्या केस पर फैसला सुनाते हुए कहा है कि विवादित ढांचे की जमीन हिंदुओं को दी जाएगी और मुसलमानों को मस्जिद बनाने के लिए दूसरी जगह मिलेगी. कोर्ट ने शुरू में ही शिया वक्फ बोर्ड और निर्मोही अखाड़ा की याचिकाएं खारिज कर दी हैं. इसके साथ ही कहा है कि मुसलमानों को मस्जिद के लिए दूसरी जगह दी जाएगी. यह फैसला सभी जजों की सहमति से हुआ है. सुप्रीम कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने कहा कि पुरात्व विभाग ने मंदिर (Ayodhya Case) होने के सबूत पेश किए हैं. सैकड़ों पन्नों का जजमेंट पढ़ते हुए पीठ ने कहा कि हिंदू अयोध्या (Ayodhya Verdict) को राम जन्मस्थल मानते हैं और रंजन गोगोई ने कहा कि कोर्ट के लिए थिओलॉजी में जाना उचित नहीं है. लेकिन पुरातत्व विभाग यह भी नहीं बता पाया कि मंदिर गिराकर मस्जिद बनाई गई थी.
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