Blogs | रवीश कुमार |मंगलवार जनवरी 25, 2022 12:29 AM IST हम बात नौकरी की भी करेंगे और नेता जी भी करेंगे. थोड़ी नेताजी की थोड़ी नौकरी की. जब भी चुनाव आता है, और स्वास्थ्य से लेकर रोज़गार पर बात करने का अवसर मिलता है, नेता और मीडिया बहस की दिशा को इतिहास और धर्म की तरफ मोड़ देते हैं. किसी महापुरुष को याद करने के नाम पर खुद को महापुरुष साबित करने की होड़ शुरू हो जाती है. मूर्ति, स्मारक, पार्क इत्यादि के नाम रखने के बहाने याद किया जाने लगता है. ट्वीटर पर मीम और टीवी चैनलों पर डिबेट के ज़रिए इतिहास की पढ़ाई होने लगती है. जहां पढ़ाई होनी चाहिए वहां न तो शिक्षक हैं और न ही लाइब्रेरी में किताबें. वोट के लिए इतिहास चालू टॉपिक हो गया है. नेता पार्ट टाइम से अब फुल टाइम इतिहासकार हो गए हैं और इतिहास से एमए रिज़र्व बैंक के गर्वनर बन रहे हैं. ग़लत इतिहास को सही करने के नाम पर अपने मन के हिसाब से ग़लत किए जा रहे हैं. इतिहास को सही करने के नाम पर आपके साथ जो ग़लत हो रहा है उसे समझना आपके बस की बात नहीं है और समझाना हमारे बस की बात नहीं.