Blogs | क्रांति संभव |शुक्रवार सितम्बर 16, 2016 04:25 PM IST शरीर अब बंधन नहीं रहा. वह तात्कालिक सच्चाई है. मन अब मुक्त है. दिल और दिमाग़ का संघर्ष अब सहअस्तित्त्व की बात कर रहे हैं. दोनों ने ठौर पकड़ ली, अपनी शरणस्थली ढूंढ ली है. अब शरीर रीयल वर्ल्ड में जी रहा है. मन वर्चुअल वर्ल्ड में.