'मैंऔरमेरीहिन्दी'

- 11 न्यूज़ रिजल्ट्स
  • Blogs | सुधीर जैन |बुधवार सितम्बर 21, 2016 03:56 PM IST
    अपने-पराए का चक्कर चलाने वाले लोग भाषा को भी नहीं छोड़ते. हिन्दी को सचमुच में राजभाषा बनाने की कवायद दसियों साल से चल रही है, लेकिन सितंबर के महीने में हिन्दी पखवाड़े की रस्म निभाने के अलावा कुछ नहीं हो पा रहा है.
  • Blogs | डॉ विजय अग्रवाल |बुधवार सितम्बर 21, 2016 03:57 PM IST
    हमारे देश में हिन्दी की जो आज दुर्गति है, वह सिर्फ और सिर्फ इस अंग्रेजी के ही कारण है. अंग्रेजी की इस अमरबेल को हटा दीजिए, हिन्दी के साथ-साथ सारी भारतीय भाषायें हरहरा उठेंगी.
  • India | Edited by: कल्पना |बुधवार सितम्बर 21, 2016 03:58 PM IST
    #मैंऔरमेरीहिन्दी के साथ हमने कोशिश की है हिन्दी को सिर्फ किताबों और साहित्य तक सीमित न रखकर, उसके अलग अलग आयाम पर बात करें. मसलन, किस तरह कार्टूनों में इस्तेमाल की जाने वाली हिन्दी ने बच्चों की इस भाषा को दुरस्त कर दिया. इतना अच्छा कर दिया कि माता-पिता भी हैरान हैं कि हमारे बच्चे को इतनी अच्छी हिन्दी आई कैसे.
  • Blogs | गिरीन्द्रनाथ झा |बुधवार सितम्बर 21, 2016 03:59 PM IST
    कार्यालय वाली हिन्दी से इतर गांव में जो हिन्दी है उसमें अंग्रेज़ी भी देसज रंग में आपको मिल जाएगी. वैसे भी भाषा अपनी राह ख़ुद बना लेती है.
  • Blogs | राकेश कुमार मालवीय |बुधवार सितम्बर 21, 2016 03:59 PM IST
    एक वह दौर था जब बच्चे अंग्रेजी में पास होने के लिए अपने 17 नंबरों को निबंध, आवेदन और सवालों से जोड़ लिया करते थे उसमें भी हम कभी ‘वंडर ऑफ साइंस’ और ‘अवर नेशनल लीडर महात्मा गांधी’ से ज्यादा कुछ नहीं सोच पाए, शहरी परिवेश में अब स्कूली शिक्षा में हिन्दी का ठीक वही हाल हो रहा है जो कभी इस तरह की अंग्रेजी का था.
  • India | Written by: कल्पना |बुधवार सितम्बर 21, 2016 04:00 PM IST
    हिन्दी से हम कभी दूर हुए ही नहीं थे लेकिन मौजूदा वक्त में जिस तरह और जिन लोगों द्वारा हिन्दी का इस्तेमाल किया जा रहा है, उसने युवाओं के बीच हिन्दी को 'कूल' बना दिया है. साहित्य, सिनेमा, विज्ञापनों में हिन्दी पहले भी थी, लेकिन धीरे-धीरे उसे अंग्रेजी के तड़के के बगैर, एकदम देसी लिबास में पसंद किया जा रहा है.
  • India | Written by: कल्पना |बुधवार सितम्बर 21, 2016 04:00 PM IST
    1946 से लेकर 1949 तक जब भारतीय संविधान का मसौदा तैयार किया जा रहा था, उस दौरान भारत और भारत से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर संविधान सभा में लंबी लंबी बहस और चर्चा होती थी. लेकिन इसमें सबसे विवादित विषय रहा भाषा.
  • Blogs | डॉ विजय अग्रवाल |बुधवार सितम्बर 21, 2016 04:00 PM IST
    वर्तमान में भाषा के संकट ने अवचेतन तक पहुंच पाने के हमारे संकट को कई-कई गुना बढ़ाकर उसे असंभव बना दिया है, क्योंकि न तो चेतन की भाषा को अवचेतन समझ पा रहा है, और न अवचेतन की भाषा (जो संकेतों में, कोड में, स्वप्न के दृश्यों में होते हैं) को चेतन डीकोड कर पा रहा है. भाषा की इस खाई ने 'इनोवेशन' की हमारी सारी संभावनाओं की भ्रूण-हत्या कर दी है.
  • India | Written by: कल्पना |बुधवार सितम्बर 21, 2016 04:01 PM IST
    2013 में बांग्लादेश में डोरेमॉन पर इसलिए प्रतिबंध लगा दिया गया था, क्योंकि वहां यह कार्यक्रम हिन्दी में प्रसारित होता था. बांग्लादेश सरकार को यह चिंता सताने लगी थी कि इससे बच्चों के बीच बांग्ला को बढ़ावा नहीं मिल पा रहा है और वह हिन्दी की तरफ झुकते जा रहे हैं...
  • India | NDTVKhabar.com टीम |गुरुवार सितम्बर 22, 2016 10:32 AM IST
    14 सितंबर को हिन्दी दिवस है और अगर आप भी उन लोगों में से हैं, जिन्हें हिन्दी से लगाव है या हिन्दी से कुछ शिकायत है, तो फिर अगले एक हफ्ते NDTVKhabar.com पर पढ़ते रहिए, हिन्दी से जुड़ी कुछ दिलचस्प कहानियां और आलेख.
और पढ़ें »
 
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com