Blogs | राकेश कुमार मालवीय |सोमवार दिसम्बर 3, 2018 11:54 AM IST आइए, बरसी आ गई है, जो लोग इसे भूल गए हैं, या जिन्हें इस बारे में कुछ पता नहीं है, उन्हें बता दें कि 1984 में 2 और 3 दिसंबर के बीच की रात भोपाल शहर पर कहर बनकर टूटी थी. यह हादसा दुनिया की सबसे बड़ी त्रासदियों में से एक था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से एक खतरनाक ज़हरीली गैस रिसी थी, और पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था. इस मामले में सरकार ने 22,121 मामलों को मृत्यु की श्रेणी में दर्ज किया था, जबकि 5,74,386 मामलों में तकरीबन 1,548.59 करोड़ रुपये की मुआवज़ा राशि बांटी गई, लेकिन क्या मुआवज़ा राशि बांट दिया जाना पर्याप्त था.