सबख़बरें'राजपाल एंड संस' - 1 न्यूज़ रिजल्ट्स पुस्तक समीक्षा : इतनी सारी देवियां, इतनी सारी स्त्रियां, इतनी सारी कथाएं...Literature | प्रियदर्शन |शुक्रवार फ़रवरी 3, 2017 10:24 AM IST किताब निश्चय ही पठनीय है और विचारणीय भी. प्रभात रंजन के किए अनुवाद में प्रवाह है और भाव अटकते नहीं. बेशक एकाध जगह पर शायद बेध्यानी में कुछ चीज़ें छूटी हैं...और पढ़ें »