'लैंगिक भेदभाव'

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  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: वंदना वर्मा |बुधवार फ़रवरी 21, 2024 11:21 AM IST
    Supreme Court on Women's Rights: सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस तरह का नियम स्पष्ट रूप से मनमाना था, क्योंकि महिला की शादी हो जाने के कारण रोजगार समाप्त करना लैंगिक भेदभाव और असमानता का एक बड़ा मामला है. 
  • India | Reported by: भाषा |शनिवार अप्रैल 29, 2023 07:35 AM IST
    श्रीनिवास पर असम की एक युवा कांग्रेस नेता अंगकिता दत्ता ने उत्पीड़न और लैंगिक भेदभाव का आरोप लगाया गया है, और उन्हें दो मई को पूछताछ के लिए असम पुलिस के सामने पेश होने के लिए कहा गया है.
  • India | Reported by: भाषा |शनिवार जून 20, 2020 02:49 AM IST
    रामचंद्रन के इस बयान के बाद माकपा की ओर से कड़ी प्रतिक्रिया आई. मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने रामचंद्रन के बयान को लैंगिक भेदभाव करने वाला बताया और इसके लिए उनसे सार्वजनिक रूप से माफी मांगने को कहा. रामचंद्रन ने यह भी कहा कि निपाह विषाणु फैलने के दौरान शैलजा कोझिकोड में “अतिथि कलाकार” बन कर गई थीं और उन्होंने ‘निपाह राजकुमारी’ बनने का प्रयास किया था. 
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |गुरुवार जुलाई 25, 2019 06:11 PM IST
    विधि एवं न्याय मंत्री ने कहा कि संविधान के मूल में लैंगिक न्याय है तथा महिलाओं और बच्चों के साथ किसी भी तरह से भेदभाव का निषेध किया गया है. मोदी सरकार के मूल में भी लैंगिक न्याय है . हमारी ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’, ‘उज्जवला’ जैसी योजनाएं महिलाओं को सशक्त बनाने से जुड़ी हैं . इसी दिशा में पीड़ित महिलाओं की संरक्षा के लिये हम कानून बनाने की पहल कर रहे हैं.
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार दिसम्बर 17, 2018 08:37 PM IST
    लोकसभा में सोमवार को मुस्लिम महिला विवाह अधिकार संरक्षण विधेयक 2018 पेश किया गया, जिसमें मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक से संरक्षण प्रदान करने के साथ साथ ऐसे मामलों में दंड का भी प्रावधान किया गया है. इसके माध्यम से विवाहित मुस्लिम महिलाओं को लैंगिक न्याय और लैंगिक समानता के व्यापक सांविधिक ध्येय सुनिश्चित होंगे और उनके प्रति भेदभाव रोकने एवं मूलभूत अधिकार प्रदान करना सुनिश्चित हो सकेगा.
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |शुक्रवार सितम्बर 28, 2018 01:05 PM IST
    केरल में सबरीमाला मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं की रोक पर से शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने बैन हटा दिया. सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में केरल के सबरीमाला स्थित अय्यप्पा स्वामी मंदिर में सभी आयु वर्ग की महिलाओं को प्रवेश की अनुमति दे दी. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय पीठ ने 4:1 के बहुमत के फैसले में कहा कि केरल के सबरीमाला मंदिर में रजस्वला आयु वर्ग की महिलाओं के प्रवेश पर प्रतिबंध लैंगिक भेदभाव है और यह परिपाटी हिन्दू महिलाओं के अधिकारों का उल्लंघन करती है. मगर इस फैसले पर सबरीमाला मंदिर के मुख्य पुजारी ने निराशा जताई है. 
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |शुक्रवार सितम्बर 28, 2018 01:53 PM IST
    केरल के सबरीमाला मंदिर (Sabarimala Temple Case) में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ आज यानी शुक्रवार को फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से अपने फैसले में सबरीमाला मंदिर में महिलाओं की एंट्री पर लगे बैन को हटा दिया. सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद अब सबरीमाला मंदिर के दरवाजे सभी महिलाओं के लिए खोल दिये गये.  फिलहाल 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं थी. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट को केरल के सबरीमाला मंदिर में 10-50 साल की उम्र की महिलाओं के प्रवेश पर रोक को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर अपना फैसला सुनाया है. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने आठ दिनों तक सुनवाई करने के उपरांत 1 अगस्त को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन और अन्य ने इस प्रथा को चुनौती दी है. उन्होंने यह कहते हुए कि यह प्रथा लैंगिक आधार पर भेदभाव करती है, इसे खत्म करने की मांग की है. याचिकाकर्ताओं का यह भी कहना है कि यह संवैधानिक समानता के अधिकार में भेदभाव है. एसोसिएशन ने कहा है कि मंदिर में प्रवेश के लिए 41 दिन से ब्रहचर्य की शर्त नहीं लगाई जा सकती क्योंकि महिलाओं के लिए यह असंभव है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव, Edited by: सूर्यकांत पाठक |शुक्रवार सितम्बर 28, 2018 12:03 AM IST
    केरल के सबरीमला मंदिर में सभी उम्र की महिलाओं के प्रवेश के मामले में सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की संविधान पीठ शुक्रवार को फैसला सुनाएगी. फिलहाल 10 से 50 साल की उम्र की महिलाओं को मंदिर में प्रवेश की इजाजत नहीं है.
  • India | Reported by: आशीष भार्गव |गुरुवार जुलाई 12, 2018 02:02 AM IST
    कोर्ट ने कहा कि सामाजिक प्रगति, लैंगिक समानता लैंगिक संवेदनशीलता को देखते हुए पहले के सुप्रीम कोर्ट के फैंसलों पर फिर से विचार करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा 1954 में चार जजों की बेंच और 1985 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले से सहमत नहीं जिसमें IPC 497 महिलाओं से भेदभाव नहीं करता.सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने IPC के सेक्शन 497 की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था.
  • India | ख़बर न्यूज़ डेस्क |रविवार जनवरी 28, 2018 09:32 AM IST
    लैंगिक रुढ़ीवाद की दीवार को ढहाते हुए केरल के मलप्पुरम में 34 वर्षीय महिला ने जुम्मे की नमाज की अगुवाई की जिसे देश के इतिहास में इस तरह की पहली घटना बताया जा रहा है.
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