File Facts | Written by: मानस मिश्रा |शुक्रवार जनवरी 25, 2019 04:57 PM IST कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बहुजन समाज पार्टी (बसपा) अध्यक्ष मायावती के साथ गठबंधन कर उत्तर प्रदेश का चुनावी गणित दुरुस्त कर दी है, मगर भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठबंधन से बाहर रहने से ऐसा लग रहा था कि भारतीय जनता पार्टी के लिए अभी भी संभावना बची हुई है. वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के नतीजों पर मीमांसा अगर मौजूदा हालात में करें तो सपा-बसपा-कांग्रेस के एक साथ मोर्चा खोलने पर भाजपा उत्तर प्रदेश की 80 में से जहां 71 सीटों पर कब्जा जमाई थी, उससे 20 सीट कम पर सिमट सकती है. भाजपा उत्तर प्रदेश में पहले ही फूलपुर और गोरखपुर सीटें उपचुनावों में गंवा चुकी है. अगर सपा-बसपा से अलग हटकर कांग्रेस चुनाव मैदान में उतरती है और मुकाबला त्रिकोणीय होता है तो भाजपा को 38 सीटें मिल सकती हैं और उसे 33 सीटों का नुकसान हो सकता है. मौजूदा हालात में प्रियंका गांधी के आगमन से एक बार फिर देश की सबसे बड़ी आबादी वाले प्रदेश में चुनावी गणित बदल सकता है. मालूम हो कि देश में सबसे ज्यादा सांसद इसी प्रदेश से चुनकर लोकसभा पहुंचते हैं.