Blogs | क्रांति संभव |सोमवार अप्रैल 24, 2017 12:10 PM IST शोर सबसे शुरुआती हिंसा है, जिसके असल हिंसा में तब्दील होने में वक़्त नहीं लगता है. सोशल मीडिया से लेकर ट्रैफिक हर तरफ बढ़ता शोर हिंसा के पिनकोड में ही आते हैं. हिन्दू-मुस्लिम कर इसे जस्टीफाई करने की नहीं, इस हिंसा से सबको बचाने की ज़रूरत है. धरती वालों को भी और ऊपर वालों को भी, बिना इस बहस में पड़े कि किस धर्म का डेसिबल लेवल कितना है.