'हिन्दी ग़ज़ल'

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  • Career | Edited by: अर्चित गुप्ता |सोमवार दिसम्बर 30, 2019 11:36 AM IST
    इतिहास में 30 दिसंबर (December 30) का दिन कई घटनाओं के साथ दर्ज है. सन 1975 में आज ही के दिन हिन्दी कवि, कथाकार और ग़ज़लकार दुष्यंत कुमार (Dushyant Kumar) इस संसार से विदा हुए थे. दुष्यंत कुमार ही थे जिन्होंने हिंदी ग़ज़ल को नई पहचान दी और उसे शिखर तक पहुंचाया. 1975 में प्रकाशित हुआ उनका ग़ज़ल संग्रह 'साये में धूप' आज भी काफी लोकप्रिय है. इसकी ग़ज़लें इतनी लोकप्रिय हैं कि उसके कई शेरों का लोग आज भी इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा आज के इतिहास में कई और महत्वपूर्ण घटनाएं दर्ज हैं, इनमें एक मजेदार घटना भी शामिल है.
  • Reviews | ख़बर न्यूज़ डेस्क |सोमवार जून 10, 2019 04:28 PM IST
    Book Review: अख़्तरी ग़ज़ल गायिकी की पहचान बेगम अख़्तर पर केन्द्रित किताब है. इससे पहले हिन्दी में बेगम अख़्तर पर बुरी किताबें भी न के बराबर थीं अच्छी किताब तो एक भी नहीं थी.
  • Literature | प्रियदर्शन |शुक्रवार मार्च 3, 2017 09:40 AM IST
    दुष्यंत के बाद इस दौर तक आते-आते हिन्दी ग़ज़लों ने भी अपना चोला पूरी तरह बदला है. प्रताप सोमवंशी इसी साझा परंपरा की पैदाइश हैं, जिसमें वह अपना एक अलग रंग भी मिलाते हैं. 'इतवार छोटा पड़ गया' की ग़ज़लें इसका बहुत जीवंत सबूत हैं.
  • Literature | Written by: अनिता शर्मा |शुक्रवार सितम्बर 1, 2017 10:06 AM IST
    हाथों में अंगारों को लिये उनकी तासरी पूछने वाला, पीर पर्वत से किसी गंगा के निकलने की उम्‍मीद रखने वाला, हिंदी का कवि और शायर दुष्‍यंत कुमार उस समय में पाठकों के मन-मष्‍तिष्‍क में जगह बनाने में सक्षम हुआ था, जब शायरी में क़ैफ़ भोपाली, गूढ़ हिन्दी कविताओं में अज्ञेय और मुक्तिबोध, नागार्जुन और धूमिल तो आम जनता के काव्‍य पर राज करते थे. दुष्यंत हिंदी ग़ज़ल का सशक्त हस्ताक्षर हैं.
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