Literature | Written by: अनिता शर्मा |शुक्रवार सितम्बर 1, 2017 10:06 AM IST हाथों में अंगारों को लिये उनकी तासरी पूछने वाला, पीर पर्वत से किसी गंगा के निकलने की उम्मीद रखने वाला, हिंदी का कवि और शायर दुष्यंत कुमार उस समय में पाठकों के मन-मष्तिष्क में जगह बनाने में सक्षम हुआ था, जब शायरी में क़ैफ़ भोपाली, गूढ़ हिन्दी कविताओं में अज्ञेय और मुक्तिबोध, नागार्जुन और धूमिल तो आम जनता के काव्य पर राज करते थे. दुष्यंत हिंदी ग़ज़ल का सशक्त हस्ताक्षर हैं.