देस की बात रवीश कुमार के साथ : घर लौटते मजदूरों का दर्द कौन समझे?
प्रकाशित: मई 15, 2020 06:00 PM IST | अवधि: 36:05
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मजदूरों को जितना भोजन चाहिए सरकारों के हिसाब में अनाज उतना नहीं मिलता है. दोनों में इतना अंतर क्यों है ? किसी की कमाई बंद हो गई है, रोजगार चला गया है. उसका नाश्ता, शाम का खाना रात का भोजन सब छिन गया. लेकिन केंद्र सरकार ने तालाबंदी के बाद वैसे लोगों को जिनके पास पहले से राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत राशन कार्ड है, को 3 महीने तक 5 किलो अनाज और 1 किलो दाल फ्री में देने का फैसला किया है. लेकिन 50 दिन बीत जाने के बाद प्रवासी मजदूरों के बारे में सरकार ने कहा कि वैसे प्रवासी मजदूर जिनका राज्यों में राशन कार्ड नहीं है और जिनके पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत बना हुआ राशन कार्ड नहीं है वैसे मजदूरों को 2 महीने तक 5 किलो अनाज और 1 किलो चना फ्री में देंगे. अब बताइए यह कौन सा इंसाफ है ?