चुनाव आते ही तमाम राजनीतिक पार्टियां जनता से वादे करते हैं. हर पार्टी खुदको सत्ता में लाने के लिए बड़े-बडे़ वादे करते हैं. लेकिन अकसर सत्ता में आने पर यह वादे कभी उस तरह से पूरे नहीं किए जाते जिस तरह से किए गए थे. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर ऐसे वादे किए ही क्यों जाते हैं जो पार्टी सत्ता में आने के बाद पूरा नहीं हो पाएं. यह भी एक बड़ा सवाल है कि इन वादों को पूरा करने के लिए सरकार पैसे कहां से लाएगी. क्या इसके लिए कर्जदाताओं पर बोझ पड़ेगा.
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