प्रकाशित: सितम्बर 30, 2015 08:00 PM IST | अवधि: 32:06
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अब राजनीति में अगर कोई एकता देखनी हो तो फिर जाति और रिजर्वेशन का मुद्दा छेड़ दीजिए, और सभी पार्टियों का सुर ऐसे एक साथ मिल जाता है कि कई बार आंख मूंद कर बयान सुनें तो पता नहीं चलेगा कि बाइट देने वाले वक्ता किस पार्टी के हैं।