23 मई 2019 आ ही गया. पिछले पांच साल में ई वी एम को लेकर होने वाली बहस किसी मंज़िल पर पहुंचती नहीं दिख रही है. कोर्ट से लेकर चुनाव आयोग के आश्वासन के बाद भी काउंटिंग के समय ई वी एम को लेकर संदेह बना हुआ है. यह संदेह इस स्थिति में पहुंच गई है कि स्ट्रांग रूम के बाहर कार्यकर्ता जमा होने लगे हैं. अगर उनके जमा होने का कारण यह है कि ई वी एम मशीन बदली जा सकती है या गड़बड़ी हो सकती है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है. यह चुनाव आयोग की विश्वसनीयता के लिए अच्छा नहीं है. जिस तरह इस चुनाव में उसके फैसलों पर नज़र रखी गई है, हर फैसले को लेकर संदेह किया गया है यह पहले के चुनावों से कहीं ज़्यादा है.
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