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करगिल के जांबाज कैप्टन अनुज नायर ने नामुमकिन लक्ष्य को बनाया था मुमकिन

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करगिल की कहानियां हौसले और बलिदान की कहानियां हैं. वो याद दिलाती हैं कि कैसे हमारी जांबाज सेना ने जान की बाजी लगाकर देश की सरहदों की रक्षा की. इन जांबाज वीरों में एक थे कैप्टन अनुज नायर. सिर्फ 24 साल की उम्र में कैप्टन अनुज नायर देश के लिए शहीद हो गए. उन्हें सेना की ओर से वह लक्ष्य दिया गया था जिसे हासिल करना लगभग नामुमकिन था. 17 जाट रेजीमेंट के कैप्टन अनुज नायर जब करगिल की उन ऊंचाइयों पर चढ़ रहे थे तो उन्हें एहसास था कि यहां से जीवित लौटना करीब नामुमकिन है. पर इससे वह जरा भी घबराए नहीं और 6 जुलाई 1999 को करगिल की मश्कोह घाटी में पॉइंट 4875 पर उन्होंने जो हासिल किया उससे भारत को करगिल की चोटियों को वापस जीतने में मदद मिली.



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