लॉकडाउन ने बनारस के घाटों को खामोश कर दिया. जिसकी वजह से गंगा की लहरों में हलचल करने वाली नावें किनारे चुपचाप बंधीं हैं, तो तीर्थ पुरोहितों की तख़्त खाली हैं, घाट पर फूलमाला , दिया , मसाज वाले , नाई , पूजा की सामग्री बेचने वाले जैसे हज़ारों परिवार की रोज़ी रोटी का जरिया इस खामोशी में ख़त्म हो गया है. 2 महीने से अधिक समय होने की वजह से ये अपनी जमा पूंजी खा गए और अब भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं. अगर जल्द ही इसका समाधान नहीं निकला तो आगे के महीने इनके लिये भारी पड़ने वाले हैं.